लॉकडाउन में भारत की इस दवा की तस्करी बढ़ी, बांग्लादेश को हो रही सप्लाई

smuggling of india made phensedyl cough syrup to bangladesh at its peak during lockdown कोलकाता/नयी दिल्ली : लॉकडाउन में भारत की एक दवा की तस्करी में तेजी आ गयी है. इस दवाई की सप्लाई बांग्लादेश में की जा रही है. भारत से फेंसेडिल कफ सिरप की बांग्लादेश तस्करी के पीछे दवा कंपनियां, एजेंट और प्रभावशाली लोग हैं. कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान यह तस्करी हाल में सबसे ज्यादा ‘बढ़ी’ है.

By Agency | May 27, 2020 8:35 AM
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कोलकाता/नयी दिल्ली : लॉकडाउन में भारत की एक दवा की तस्करी में तेजी आ गयी है. इस दवाई की सप्लाई बांग्लादेश में की जा रही है. भारत से फेंसेडिल कफ सिरप की बांग्लादेश तस्करी के पीछे दवा कंपनियां, एजेंट और प्रभावशाली लोग हैं. कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान यह तस्करी हाल में सबसे ज्यादा ‘बढ़ी’ है.

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सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की एक रिपोर्ट और अधिकारियों से यह जानकारी मिली है. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में फेंसेडिल की तस्करी एक प्रमुख अड़चन है और इस खतरे को खत्म करने के लिए केंद्र, राज्य सरकारों और कानूनी एजेंसियों को शामिल करते हुए एक सामूहिक प्रयास’ की जरूरत है.

मादक द्रव्य निरोधी विभाग ने कहा कि इस मुश्किल और खास क्षेत्र तथा 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा के आसपास रहने वालों के रहने की स्थिति इस अपराध को बढ़ावा देती है. बीते एक दशक में इस सीमा पर पशु तस्करी जहां न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी है, वहीं गरीब स्थानीय लोगों को अब फेंसेडिल की तस्करी के लिए ज्यादा बहकाया जा रहा है.

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गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ ने अच्छा काम किया है और इस सीमा पर पशु तस्करों की कमर तोड़ दी है, लेकिन तस्कर इस नुकसान की भरपाई के लिए फेंसेडिल की तस्करी में और संसाधन व व्यक्तियों को झोंक रहे हैं.

कोडीन आधारित खांसी का सिरप है फेंसेडिल

फेंसेडिल एक कोडीन आधारित खांसी का सिरप है. पड़ोसी देश में इसे नशे के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जहां शराब पर प्रतिबंध है. इसे युवा ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और तयशुदा खुराक से ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं, जिससे उन्हें नशा हो. बांग्लादेश ने इस सिरप पर काफी पहले प्रतिबंध लगा दिया था और बीएसएफ व अन्य भारतीय एजेंसियों पर इसकी तस्करी को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया था.

बीएसएफ की दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने हाल में एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कहा गया है, लोगों, दवा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों, राज्यों में इन्हें निकालने व आगे बढ़ाने वाले एजेंट, दवा के स्टॉकिस्ट और प्रभावशाली लोगों का बेहद सुचारु नेटवर्क इस अवैध कारोबार में शामिल है, जहां दवा के उत्पादन की मांग उसकी वास्तविक खपत से ज्यादा दिखायी जाती है.’

सबसे ज्यादा तस्करी दक्षिण बंगाल सीमा से

दक्षिण बंगाल सीमा से ही इसकी सबसे ज्यादा तस्करी होती है. बीएसएफ के उप महानिरीक्षक (आसूचना) सुरजीत सिंह गुलेरिया ने कहा कि तस्करी का यह धंधा दिलचस्प रूप से ‘पूरी कागजी कार्रवाई के साथ होता है और (भारत में बनी) अतिरिक्त दवाओं को बांग्लादेश तस्करी कर भेजा जाता है’.

तस्करी कितने बड़े पैमाने पर होती है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि बीएसएफ ने दक्षिण बंगाल की 900 किलोमीटर की सीमा से बंद के दौरान (25 मार्च से 24 मई) के बीच तस्करी कर ले जायी जा रही फेंसेडिल की 33,536 बोतलें जब्त की हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह आंकड़ा 30,204 बोतलों का था.

बीएसएफ ने अकेले इस सीमा से बीते साल फेंसेडिल की 1.98 लाख बोतल जब्त की थी, जबकि कुछ अन्य मादक द्रव्य एजेंसियों द्वारा भी इन्हें जब्त किया गया था. भारत में सिर्फ एबॉट हेल्थकेयर फेंसेडिल का निर्माण करती है और यह एच-श्रेणी की दवा है, जिसे सिर्फ डॉक्टर के पर्चे से ही बेचा जा सकता है.

दवा बनाने वाली कंपनी का दावा

सिरप को गलत हाथों में जाने से रोकने के लिए कंपनी ने कड़े इंतजाम कर रखे हैं. एबॉट के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘हमारे कोडीन आधारित दवा के दुरुपयोग और विचलन को रोकने के लिए एबॉट ने सख्त और व्यापक इंतजाम किये हैं. हम सुनिश्चित करते हैं कि यह उत्पाद सिर्फ लाइसेंसधारक वितरक को बेचा जाये और उसकी मात्रा भी तय करते हैं. इस सुविधा से नियामक प्राधिकारियों को उत्पाद पर नजर रखने में सुविधा होती है.’

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