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बिहार में सांपों का लगा मेला,भगत पोखर से निकाले विषैले सांप और गले में लपेट घुमने लगे शहर

सावन में भगवान शिव की विशेष महत्त्व तो है ही, उनके साथ रहने वाले सांपों की भी पूजा की जाती है. वैसे तो नागपंचमी 13 अगस्त को है, लेकिन बिहार के कई क्षेत्रों में गुरुवार को भी नागपंचमी मनाया जा रहा है.

पटना. सावन में भगवान शिव की विशेष महत्त्व तो है ही, उनके साथ रहने वाले सांपों की भी पूजा की जाती है. वैसे तो नागपंचमी 13 अगस्त को है, लेकिन बिहार के कई क्षेत्रों में गुरुवार को भी नागपंचमी मनाया जा रहा है. इसमें मुख्य रूप से सांपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दरम्यान बेगूसराय और समस्तीपुर से कुछ ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जो आश्चर्यजनक भी हैं और लोगों के आकर्षण का केंद्र भी है.

पोखर से सैकड़ों सांप निकाल शिव भक्त उसके साथ अपना करतब दिखाते हैं. यहां पर यह परंपरा वर्षों से जारी है, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्ष 1981 में इस गांव के लोगों ने भगवती स्थान की स्थापना की थी. जिसके बाद गांव में कोई भी अनहोनी नहीं हुई . इस दौरान ही नागपंचमी के दिन भगत के द्वारा सांप पकड़ने की परंपरा की शुरुआत हुई थी. धीरे-धीरे ये परम्परा आगे बढ़ती गई और बाद में ये इलाके का प्रसिद्ध स्थान बन गया. विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगत गांव में अवस्थित पोखर में आते हैं और पोखर से सैकड़ों विषैले सांपों को निकालते हैं. फिर इन्हें हाथ मे लेकर करतब दिखाते हैं. इसे देखने के लिए दूरदराज से लोग आते है. सांपों को पानी से निकालने और उसका करतब दिखाने के पीछे की सच्चाई क्या है, यह आज तक रहस्य बना हुआ है.

समस्तीपुर के सिंघिया घाट पर भी ऐसा ही मेला

समस्तीपुर के विभूतिपुर थाना क्षेत्र के सिंघिया घाट पर भी प्रति वर्ष कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिलती है. यहां हर साल नागपंचमी के मौके पर सांप लेकर हजारों की संख्या में झुंड बनाकर लोग नदी के घाट पर जुटते हैं और फिर अपने हाथों व गर्दन में सांप को लपेट कर करतब दिखलाना शुरू करते हैं. इस मेला को देखने के लिए आसपास के कई जिला के यहां आते हैं. यहां पर मेला करीब 100 वर्षों से लगाया जाता है मेला में पहुंचे विभूतिपुर के पूर्व विधायक राम बालक सिंह का कहना था कि इस तरह का यह बिहार का सबसे बड़ा मेला है. सभी इसे श्रद्धापूर्वक मनाते हैं.

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