SNMMCH अस्पताल धनबाद में तड़प रहे हैं नवजात बच्चे, NICU में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल

धनबाद का एसएनएमएमसीएच अस्पताल के एनआइसीयू में लगी दो एसी में एक महीने से खराब है. दूसरी भी ठीक से काम नहीं कर रही है. इस वजह से होने के कारण पूरा यूनिट भीषण गर्मी में तप रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 9, 2023 9:53 AM
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43 डिग्री तापमान में शहीद महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू ) में भर्ती नवजात तड़प रहे है. अस्पताल के तीसरे तल में स्थित एनआइसीयू वार्ड में नवजात के लिए प्रबंधन की ओर से की गयी व्यवस्था दम तोड़ रही है. बता दें कि एनआइसीयू में गंभीर स्थिति में जन्मे नवजात को भर्ती किया जाता है. उन्हें उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का प्रावधान है.

जिले के सबसे बड़े अस्पताल के एनआइसीयू में लगी दो एसी में एक महीनों से खराब है. दूसरी भी ठीक से काम नहीं कर रही है. इस वजह से होने के कारण पूरा यूनिट भीषण गर्मी में तप रहा है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने एनआइसीयू में नवजात को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया. पाया कि व्यवस्था बद से बदतर है. एसी खराब होने के कारण इस भीषण गर्मी में नवजात तड़प रहे है. उपलब्ध वार्मर से दोगुनी संख्या में नवजात भर्ती है. कई वार्मरों की स्थिति भी खास्ताहाल स्थिति में पहुंच गयी है. वार्मर में मरहमपट्टी के लिए इस्तेमाल बैंडेज लगा काम लिया जा रहा है.

नौ वार्मर में रखे गये हैं 20 नवजात :

एनआइसीयू में कुल 11 वार्मर मशीन है. इसमें से दो खराब है. वर्तमान में नौ वार्मर मशीन ही काम कर रही है. इनमें से भी कुछ की स्थिति खास्ताहाल है. उपलब्ध नौ वार्मर में 20 नवजात का इलाज चल रहा है. यानी, एक वार्मर पर दो-दो नवजात को रख इलाज किया जा रहा है. बता दें कि एनआइसीयू में वार्मर की संख्या बढ़ाने के लिए कई बार प्रबंधन द्वारा पहल की गयी, लेकिन स्वास्थ्य मुख्यालय की ओर से कोई पहल नहीं की गयी.

हर दिन 10 से 15 नवजात एनआइसीयू में होते हैं भर्ती

बता दें कि हर दिन 10 से 15 नवजात एनआइसीयू में भर्ती होते है. अस्पताल में गंभीर स्थिति में जन्मे बच्चों के अलावा दूसरे जिलों से भी गंभीर स्थिति में नवजात एसएनएमएमसीएच पहुंचते है. एनआइसीयू में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार लगभग हर दिन यही स्थिति बनी रहती है. वार्मर मशीन कम और नवजात की संख्या ज्यादा होने पर कई बार तो एक में तीन-चार बच्चों को रख इलाज किया जाता है.

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