धनबाद के SNMMCH का हाल-बेहाल, स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की है घोर कमी
धनबाद के सबसे बड़े अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SNMMCH ) कई विभाग नहीं हैं. इस वजह से उक्त विभाग में ताला लगा हुआ है. इस वजह से इन विभागों में मरीज तो आते हैं, लेकिन उनका इलाज दूसरे विभाग के डॉक्टर करते हैं या उन्हें रांची रिम्स रेफर कर दिया जाता है. जिससे परेशानी होती है.
Dhanbad News: धनबाद में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल है. इस वजह से यहां सक्षम लोग तो अपना इलाज निजी अस्पताल में करा लेते हैं, लेकिन गरीबों को काफी परेशानी होती है. इसकी मुख्य वजह है अस्पताल में चिकित्सकों की कमी. हालांकि स्वास्थ्य विभाग जनवरी में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल शुरू करने का दावा तो कर रहा है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत आने वाली है चिकित्सकों की. क्योंकि फिलवक्त धनबाद के सबसे बड़े अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SNMMCH ) कई विभाग नहीं हैं. इस वजह से उक्त विभाग में ताला लगा हुआ है. इस वजह से इन विभागों में मरीज तो आते हैं, लेकिन उनका इलाज दूसरे विभाग के डॉक्टर करते हैं या उन्हें रांची रिम्स रेफर कर दिया जाता है. इस वजह से उन्हें और ज्यादा परेशानी होती है.
फिजिशियन करते हैं गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज
वर्तमान में एसएनएमएमसीएच पहुंचने वाले गंभीर बीमारी वाले मरीजों का इलाज अस्पताल के जनरल फिजिशियन द्वारा किया जाता है. अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित हलके लक्षण वाले मरीज को अस्पताल के जनरल फिजिशियन चिकित्सीय परामर्श देते है. स्थिति को देखते हुए दवा भी दी जाती है. वहीं गंभीर लक्षण वाले मरीजों को रांची, रिम्स रेफर कर दिया जाता है.
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चार माह में 40 से ज्यादा मरीजों को किया गया रेफर
अस्पताल के मेडिसिन व इमरजेंसी विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले चार माह में 40 से ज्यादा गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को रिम्स रेफर किया गया है. इनमें किडनी व न्यूरो से जुड़े मरीजों की संख्या अधिक है. इसके अलावा कैंसर, गैस्ट्रो, लीवर आदि गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को भी रिम्स रेफर किया गया है.
मनोरोग और न्यूरो विभाग में चिकित्सकीय सेवा बंद
29 जून से एसएनएमएमसीएच के मनोराेग विभाग में चिकित्सीय सेवा बंद है. 28 जून को मनोरोग विभाग की एकमात्र चिकित्सक डॉ शिल्पी का करार समाप्त हुआ है. इनके स्थान पर अबतक किसी दूसरे चिकित्सक की नियुक्त नहीं की गयी. इसके अलावा वर्तमान में अस्पताल के न्यूरो विभाग में भी डॉक्टर का पद रिक्त है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार मनोरोग व न्यूरो विभाग में चिकित्सक नियुक्त करने को लेकर मुख्यालय को पत्र भेजा गया है.
अब सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल शुरू होने का इंतजार
एसएनएमएमसीएच में अलग-अलग गंभीर बीमारी का इलाज शुरू करने को लेकर सुपर स्पेशियलिटी का निर्माण किया गया है. इसमें लगभग सभी तरह की गंभीर बीमारी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति होनी है. बिल्डिंग बनकर तैयार है. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार सुपर स्पेशियलिटी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. रांची, रिम्स में 16 नवंबर को डॉक्टरों का साक्षात्कार होना है.
कैंसर, न्यूरो, किडनी, गैस्ट्रो विभाग नहीं
एसएनएमएमसीएच के कैंसर, न्यूरो, किडनी, गैस्ट्रो का विभाग ही नहीं है. ऐसे में इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों के पहुंचने पर उन्हें उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. बता दें एसएनएमएमसीएच की ओपीडी व इमरजेंसी में रोजाना अलग-अलग गंभीर बीमारी से ग्रसित औसतन 100 से ज्यादा मरीज पहुंचते है. ऐसे में इनमें से ज्यादातर मरीजों को इलाज के लिए मेडिसिन विभाग भेज दिया जाता है.
टुंडी के मरीज को मंगलवार को किया गया रेफर
लीवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित टुंडी की रायमुनी महतो को बेहतर इलाज के लिए मंगलवार की शाम रिम्स रेफर किया गया. पेट में दर्द होने के बाद एक सप्ताह पहले उन्हें एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया था. बुधवार की दोपहर रायमुनी को 108 एंबुलेंस के जरिए रिम्स ले जाया गया.
केस 01
टुंडी रामपुर के रहने वाले प्रदीप चंद्रा लगातार पेट की समस्या से ग्रसित है. बुधवार को इलाज कराने के लिए एसएनएमएमसीएच की ओपीडी पहुंचे. उन्हें मेडिसिन विभाग जाने को कहा गया. उन्होंने पेट के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर के बारे में पूछा. पता चला की उनके रोग से संबंधित कोई डॉक्टर नहीं है. इसके बाद वह बिना इलाज कराए वापस लौट गए.
केस 02
करमाटांड़ में टायर का पंक्चर लगाने वाले राजू हेंब्रम को लंबे समय से पैर में सूजन की समस्या रहती थी. पहले उन्होंने स्थानीय एक डॉक्टर से चिकित्सीय परामर्श लिया. जांच के दौरान उन्हें किडनी संबंधित रोग होने की जानकारी मिली. वह इलाज कराने के लिए एसएनएमएमसीएच पहुंचे. स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने पर वह वापस लौट गये.
रिपोर्ट : विक्की प्रसाद, धनबाद