दिवाली के बाद झारखंड में मनेगा सोहराय व बांदना पर्व, आदिवासी बहुल गांव दे रहे स्वच्छता का संदेश, PICS

Diwali|Sohrai|Bandana Parv|किसान अपने गोहाल घर, जहां बैलों को बांधा जाता है, वहां पूजा करेंगे. इस दिन बैलों के सींग में तेल लगाकर उनके माथे पर धान की बालियां बांधी जाती है. बैलों को रंग-बिरंगे छाप से सजाया जाता है. सूप में दीप जलाकर और चावल से बैलों को चुमाया जाता है.

By Mithilesh Jha | October 24, 2022 3:46 PM
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Diwali|Sohrai Parv|Bandana Parv|दीपावली के दूसरे दिन यानी बुधवार (26 अक्टूबर) को झारखंड के गांवों में बांदना और सोहराय पर्व मनाया जाएगा. आदिवासी संथाल समाज के लोग सोहराय (Santhal Celebrates Sohrai Parv) मनाते हैं, तो कुड़मी और अन्य जनजातियां बांदना पर्व (Tribal Community Celebrates Bandana Parv) मनाती है. इसको लेकर ग्रामीण अंचलों में आदिवासी और कुड़मी (Kurmi Celebrates Bandana Parv) समाज के लोग अपने-अपने घरों को अभी से सजाने में जुटे हैं.

दीवारों पर बनायी जा रही हैं आकर्षक कलाकृतियां

घर के अंदर और बाहर की दीवारों पर रंग-बिरंगी कलाकृतियां बनायी जा रही हैं. गांव को साफ-सुथरा किया जा रहा है. गांवों में स्वच्छता अभियान का असर दिख रहा है. हर तरफ रंग-बिरंगी कलाकृतियां लोगों को आकर्षित कर रहीं हैं. गांवों के दृश्य को देखकर हर किसी को विश्वास हो जायेगा कि आदिवासी समाज सचमुच स्वच्छता के प्रतीक हैं.

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बांदना के दिन है बैलों को चुमाने की परंपरा

बांदना के दिन गांव में खूंटे में बांधकर बैलों को धमसे (गर्दन में बांधकर बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र) की थाप पर नचाया जाता है. बुधवार की शाम को किसान अपने गोहाल घर, जहां बैलों को बांधा जाता है, वहां पूजा करेंगे. इस दिन बैलों के सींग में तेल लगाकर उनके माथे पर धान की बालियां बांधी जाती है. बैलों को रंग-बिरंगे छाप से सजाया जाता है. सूप में दीप जलाकर और चावल से बैलों को चुमाया जाता है.

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सोहराय-बांदना के दिन ढोल-धमसे के साथ होता है जागरण

बांदना और सोहराय के एक दिन पूर्व रात में ढोल-धमसे के साथ जागरण भी किया जाता है. बांदना और सोहराय खेत खलियान और मवेशी से जुड़ा पर्व है. गांवों में बुधवार से बांधना और सोहराय पर्व की शुरुआत होगी, जो एक सप्ताह तक चलेगा. हर दिन अलग-अलग गांव में गुरु खुटान आयोजित होगा. खूंटे में बांधकर बैलों को धमसे की थाप पर नचाया जायेगा. गांव में इस अवसर पर मेला भी लगेगा. लोग अपने घरों में गुड़ पीठा बनाकर खायेंगे. एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटेंगे.

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रिपोर्ट- मोहम्मद परवेज

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