Solar Eclipse in Jharkhand: बड़कागांव में सूर्यग्रहण का नजारा, झारखंड के मंदिरों के कपाट रहे बंद

झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सूर्यग्रहण का आंशिक नजारा देखने को मिला. इसको लेकर राज्य के सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे. सूर्यग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने का आग्रह किया गया.

By Samir Ranjan | October 25, 2022 5:51 PM
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हजारीबाग के बड़कागांव में देखें सूर्यग्रहण का नजारा

25 अक्टूबर, 2022 को सूर्यग्रहण लगा. इसका सूतक 24 अक्टूबर की रात से ही लग गया. ऐसे में मंदिरों के कपाट बंद रहे. वहीं, मंगलवार की दोपहर के बाद लगे सूर्यग्रहण का आंशिक असर झारखंड में भी देखने को मिला. हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में सूरज में बिंदी सा सूर्य ग्रहण का असर दिखाई दिया. मौसम विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने लोगों से सूर्यग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने का आग्रह किया है. इससे आंख की रोशनी तक जा सकती है.

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सूर्यग्रहण को लेकर चाईबासा में बंद रहे मंदिरों के कपाट

दीपावली के अगले दिन यानी मंगलवार को गोवर्धन पूजा की जाती है. लेकिन, अबकी सूर्यग्रहण लगने के कारण गोवर्द्धन पूजा नहीं हुआ. सूर्यग्रहण लगने से बाद अब बुधवार को गोवर्धन पूजा होगी. सूर्यग्रहण शाम को लगा, लेकिन उसका सूतक 12 घंटे पहले लग गया. इसके कारण पश्चिमी सिंहभूम जिला के चाईबासा शहर समेत ग्रामीणों क्षेत्र के मंदिरों के कपाट दिन भर बंद रहे. सुबह छह बजे से ही मंदिरों के कपाट बंद रहे जिस कारण मंदिर परिसर में सन्नाटा छाया रहा.

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ग्रहण के बाद खाने-पीने की चीजों में तुलसी पत्ते डालने की परंपरा

पंडिताें के अनुसार, ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिरों की धुलाई करके दर्शन-पूजन के लिए कपाट खोला जाएगा. पंडितों के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा है. ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक और दूषित किरणें फैलती हैं जो सेहत के लिए हानिकारक होती हैं. आयुर्वेद के अनुसार,  तुलसी की पत्ती में एंटी-बैक्टीरिया और आयरन तत्व अधिक होते हैं. इसका सेवन करने से व्यक्ति की इम्युनिटी बढ़ती है. धार्मिक रूप से भी तुलसी अत्यंत पवित्र मानी गई हैं. इसी कारण ग्रहण के दौरान तुलसी की पत्ती खाने-पीने की वस्तुओं में डाली जाती है. सूतक की वजह से शहर समेत ग्रामीण के सभी मंदिरों के पट बंद रहे और कोई शुभ काम नहीं हुआ. मंदिर या पूजा पंडालों में पहले से स्थापित मां काली की प्रतिमा को ढंक कर रखे गए थे. जबकि पूजा के दौरान लगी प्रतिमा को खुला छोड़ रखे थे. हालांकि दोपहर तक कई लोगों ने पूजा पंडालों में आकर दर्शन दिया.

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सरायकेला-खरसावां के मंदिरों के कपाट भी रहे बंद

वर्ष का आखिरी सूर्यग्रहण मंगलवार को लगा. भारत में दिखाई पडने वाले इस सूर्यग्रहण का सुतक काल 12 घंटे पहले ही लग गया था जिसके कारण झारखंड के मंदिरों के कपाट भी बंद रहे. सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत सरायकेला, सीनी, कोलाबिरा, महालीमरूप और राजनगर में मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गये थे. किसी प्रकार का पूजा अर्चना करना निषेध होने के कारण मंदिरों को बंद कर दिया गया था. सरायकेला के जगन्नाथ मंदिर, माजणाघाट मंदिर, कुदरसाही मंदिर, काली मंदिर, शमशान काली मंदिर सहित अन्य मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गये. सूर्यग्रहण के बाद मंदिरों के कपाट खोले गये और पूजा अर्चना किया गया. सूर्यग्रहण पर लोगों द्वारा भगवान के मंत्र का जाप किया गया. लोग मंदिर के बहार बैठ कर भगवान के मंत्र का जाप किये.

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खरसावां में भी मंदिर रहे बंद

इधर, खरसावां के सभी मंदिर भी बंद रहे. प्रसिद्ध पद्मपुर काली मंदिर में भी सुबह से मंदिर का कपाट बंद रहा. इसके अलावा रामगढ़ शिव मंदिर सहित अन्य मंदिरों के कपाट भी बंद रहे.

रिपोर्ट : हजारीबाग के बड़कागांव से संजय सागर, चाईबासा से सुनील कुमार सिन्हा और सरायकेला से प्रताप मिश्रा.

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