Somvati Amavasya 2022: हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या (Amavasya) तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन व्रत पूजन के साथ ही पितरों को जल और तिल अर्पित करने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार जेष्ठ मास की अमावस्या तिथि सोमवार को पड़ रही है इसलिए जेष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) कहा जा रहा है.
पितरों की शांति और प्रसन्नता के लिए सोमवती अमावस्या के दिन कुछ विशेष कार्य कर सकते हैं. जानें पितरों को प्रसन्न करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए.
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सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के नाम जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करना चाहिए.
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अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है ऐसे में इस दिन पितरों के नाम तर्पण करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
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सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करें और पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें.
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पीपल के नीचे एक दीपक जलाएं ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली आती है.
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पितरों का ध्यान करते हुए सोमवती अमावस्या के दिन दान जरूर करें. आप किसी भी जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र आदि कुछ भी दान कर सकते हैं.
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यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं और इस पौधे की सेवा भी करें. ऐसा करने से पितर बेहद प्रसन्न होते हैं.
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आपके द्वारा लगाया गया पीपल का पौधा जैसे जैसे बड़ा होगा, आपको अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके घर के सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे.
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वैसे तो पीपल का पौधा किसी भी अमावस्या को लगाया जा सकता है, लेकिन सोमवती अमावस्या के दिन यह कार्य करना अति उत्तम माना जाता है.
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ज्येष्ट मास की अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) की शुरूआत 29 मई 2022 को दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से हो रही है. जबकि अमावस्या तिथि की समाप्ति 30 मई 2022 को शाम 04 बजकर 59 मिनट को हो रही है. उदया तिथि के कारण अमावस्या से संबंधित सारे धार्मिक कार्य 30 मई को किए जाएंगे. 30 तारीख को सोमवार है इसलिए सोमवती अमावस्या के रूप में इस दिन का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है. इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है.