सोनपुर का विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला धार्मिक और ऐतिहासिक होने के साथ ग्रामीण परिवेश को भी अपने में समेटे है. मेले में खरीदारी के लिए वही पुराने मिजाज के अनुसार भी साजो सामान उपलब्ध है. मेले में लोगों की भारी भीड़ पहुंच रही है. आलम यह है कि किसी भी स्टॉल या प्रदर्शनी के पंडाल में पैर रखने तक की जगह नहीं रहती है. सभी सड़कें खचाखच भरी हुई थी. लोगों की पसंदीदा रामायण मंचन के साथ-साथ पर्यटन विभाग के मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
मेले में विश्व प्रसिद्ध हरिहर नाथ मंदिर के समीप चल रहे रामायण मंचन के दौरान दिखाया गया कि विभीषण अपने भाई रावण को समझाते हैं कि वह श्रीराम से संधि कर उनकी शरण में जाये और सीता जी को लौटा दें. इस पर रावण क्रोधित होकर उन्हें ठोकर मारकर दरबार से बाहर कर देता है. इसके बाद विभीषण श्रीराम के पास जाकर शरण ले लेते हैं. प्रभु श्रीराम से विभीषण की मित्रता होती है. उसके बाद प्रभु श्री राम रावण के पास अपना दूत भेजने का विचार किया.
सभा में सभी ने प्रस्ताव किया कि हनुमान जी को ही दूत बनाकर भेजना चाहिए. लेकिन प्रभु श्री राम ने यह कहा कि अगर रावण के पास फिर से हनुमान को भेजा गया तो यह संदेश जायेगा कि राम की सेना में अकेले हनुमान ही महावीर हैं. इसलिए महा बलशाली बालि के पुत्र कुमार अंगद को दूत बनाकर भेजा जाये. अंगद पराक्रमी और बुद्धिमान भी हैं. अंगद ने रावण के पास जाकर राम की वीरता और शक्ति का बखान करने के साथ ही रावण को चुनौती भी दे डाली कि अगर लंका मे कोई वीर हो तो मेरे पांव को जमीन से उठा कर दिखाये.
रावण के बड़े-बड़े योद्घा और वीर अंगद के पांव को जमीन से उठाने में असफल रहे. अंत में रावण जब खुद अंगद के पांव उठाने आया तो अंगद ने कहा कि मेरे पांव क्यों पकड़ते हो, पकड़ना है तो मेरे स्वामी श्री राम का चरण पकड़ लो वह बहुत ही दयालु और शरणागत वत्सल हैं. उनकी शरण में जाओ तो प्राण बच जायेंगे.