बरेली: समाजवादी पार्टी के जिला और महानगर संगठन की कमेटियों का ऐलान हो गया है. इस कमेटी का ऐलान होते ही बरेली सपा में कलह शुरू हो गई है. सपा संगठन से पुराने पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, लेकिन पार्टी में टिकट के नाम पर वसूली करने वालों का कद बढ़ाया गया है. सबसे अधिक नाराजगी “एम टॉनिक” को लेकर है. यह पिछली बार महानगर संगठन में सचिव थे. इनका नगर निगम चुनाव में एक ऑडियो वायरल हुआ था.
सपाइयों ने ही हाईकमान से टिकट के नाम पर एम टॉनिक यानी मनी देने की बात कहने की शिकायत भी की थी. ऑडियो में टिकट मिलने का भरोसा दिलाया जा रहा था. यह ऑडियो काफी वायरल हुआ. इसके साथ ही सपा नेताओं ने टिकट के नाम पर रुपए लेने की पुष्टि ऑडियो से होने के आरोप लगाया था. मगर एम टॉनिक वाले नेताजी कद बढ़ा दिया गया है. उनको महानगर सचिव से महानगर उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसको लेकर सोशल मीडिया चर्चाएं शुरू हो गई हैं.इसमें निकाय चुनाव में एम टॉनिक की अच्छी उगाही करके देने के बाद तरक्की होने के आरोप लग रहे हैं.
सपा के जिला और महानगर संगठन की घोषणा होने के बाद सपाइयों के इस्तीफा देने का सिलसिला शुरू हो गया है. पार्टी के पुराने और वफादार लोगों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफे भेजे हैं. सपा के 20 वर्ष पुराने नेता एवं महानगर सचिव श्रीओम जय मृत्युंजय मिश्रा एडवोकेट ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया है.उनका कहना है कि वह सपा के 20 वर्ष पुराने कार्यकर्ता हैं.
पार्टी के प्रदेश सचिव से लेकर तमाम फ्रांटल संगठन के पदों पर रहे हैं. सपा अधिवक्ता सभा में जिला महासचिव समेत तमाम पदों पर रह चुके थे.इसके साथ ही बरेली बार एसोसिएशन संयुक्त सचिव के पद पर हैं.पार्टी के जेल भरो आंदोलन, और तमाम धरना प्रदर्शन में शामिल रहने की बात कही लेकिन इसके बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के बरेली के नेताओं को बुलाने की सूचना महानगर अध्यक्ष ने नहीं दी. उनको लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है. इसलिए पार्टी छोड़ने को इस्तीफा पत्र लिख दिया है.
125 कैंट विधानसभा के अध्यक्ष गोपाल कश्यप ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से पार्टी में काम किया है.लोहिया वाहिनी समेत सा संगठन के तमाम पदों पर रहे थे. संगठन में नजरअंदाजजी के चलते इस्तीफा दे दिया है.भोजीपुरा विधानसभा के विधानसभा अध्यक्ष जावेद वारसी ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया. उन्होंने भी तमाम आरोप लगाए हैं. इसके साथ ही तमाम अन्य लोगों ने भी पार्टी को इस्तीफा भेजा है, तो वहीं कुछ लोगों ने पार्टी से दूरी बना ली है.
सपा की नई कमेटियों में जातीय संतुलन न रखने के भी आरोप लग रहे हैं. इसके साथ ही एक ही नेता के इशारे पर उनके लोगों को संगठन में पद देने के आरोप लग रहे हैं. पार्टी के पुराने नेताओं को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इसको लेकर भी नाराजगी है.यह नाराजगी आने वाले चुनाव में और बढ़ने की उम्मीद है.
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सपा के जिला और महानगर संगठन में दागी नेताओं को पद देने की भी बात सामने आ रही है. इन लोगों पर कई कई मुकदमें हैं, लेकिन इसके बाद भी संगठन में पदों से नवाजा गया है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली