Bareilly: समाजवादी पार्टी (सपा) लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के मिशन 80 को, 80 बनाम 20 बनाने की कोशिश में जुट गई है. इसमें 80 फीसद एससी-ओबीसी (दलित-पिछड़े) हैं, तो वहीं 20 फीसद सवर्ण हैं. अब सपा इस मुद्दे पर खुलकर खेलने की कोशिश में है. जिससे ओबीसी और दलित वोट पार्टी से जुड़ सके.
इसी को लेकर पार्टी ने गांव-गांव जाकर आंदोलन छेड़ने का प्लान बनाया है. सपा ने जाति जनगणना को लेकर 24 फरवरी से 5 मार्च तक आंदोलन चलाने का फैसला लिया है. बरेली में भी नगर निकाय चुनाव से पहले सपा ने 24 फरवरी से ब्लॉक स्तर पर संगोष्ठी का आयोजन करने का प्रोग्राम बनाया है. सपा इन संगोष्ठी के माध्यम से लोगों के बीच जाकर समझाएगी कि जिनकी आबादी अधिक है, उनकी गिनती होना जरूरी है.
अखिलेश यादव जाति जनगणना के मुद्दे को गांव तक लेकर जा रहे हैं. सपा के पिछड़े नेता भी सक्रिय हैं. मगर, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी सहमति जता चुके हैं. जाति जनगणना के मुद्दे से भाजपा काफी पसोपेश में है.
सपा ने विधानसभा चुनाव 2022 के अपने घोषणा पत्र में जाति जनगणना का वायदा किया था. उनका कहना था कि सरकार बनी, तो 3 माह में जातीय जनगणना कराएंगे. अब सपा विपक्ष में बैठी है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर नए सिरे से जन आंदोलन चलाने की तैयारी में है. इसके लिए पार्टी नेताओं को तैयार रहने के लिए भी कहा गया है.
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बिहार में जातिगत जनगणना शुरू हो चुकी है. यहां जनवरी में प्रथम राउंड पूरा हो गया है. इसके बाद ही अखिलेश यादव ने सामाजिक न्याय, समानता सहित लोकतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के लिए जातीय जनगणना को जरूरी बताया. इसके साथ ही पार्टी जातीय जनगणना का आंदोलन तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. सपा बिहार की तरह यूपी में भी जातिगत जनगणना का मामला गरमाने की तैयारी में है. विधानसभा सत्र में भी सपा यह मुद्दा उठाएगी.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली