अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग
विज्ञान का असल लक्ष्य मानवता की भलाई है. विज्ञान जगत में प्रतियोगिता अवश्य होती है मगर हर अभियान से सारी दुनिया जुड़ी होती है. कामयाबी से दूसरे देशों को भी फायदा होता है.
चंद्रयान-3 की कामयाबी के साथ भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपना नाम बुलंदी से स्थापित कर लिया है. चंद्रयान से गया विक्रम लैंडर चांद पर उतर चुका है. उसके भीतर बैठा रोवर प्रज्ञान बाहर आ चुका है. अब ये दोनों खोजी उपकरण चांद के बारे में नयी जानकारियां जुटायेंगे. अगले 14 दिनों में वह चांद के बारे में जो भी सूचनाएं जुटायेंगे उस पर केवल भारत ही नहीं, सारी दुनिया के वैज्ञानिकों की निगाहें टिकी होंगी. चंद्रयान अभियान केवल भारत का नहीं समस्त मानवता के हित के लिए चल रहा अभियान है.
वैज्ञानिक जिस भी देश के हों और अभियान जिस किसी भी देश का हो, उनकी खोज से सारी दुनिया के लोगोंं को लाभ हो सकता है. विज्ञान की इसी शक्ति को ध्यान में रखकर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स देशों के सामने एक प्रस्ताव रखा है. दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग शहर में ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक में हिस्सा लेने गये प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान की सफलता से कुछ ही देर पहले बैठक में ब्रिक्स देशों से अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग का सुझाव रखा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स देशों को एक स्पेस एक्सप्लोरेशन कंसोर्टियम, यानी अंतरिक्ष की खोज के लिए एक साझा समूह बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देश मिलकर विश्व-हित के लिए अंतरिक्ष की खोज तथा मौसम की निगरानी के लिए मिलकर काम कर सकते हैं. यह एक सुखद संयोग है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने यह सुझाव ऐसे दिन दिया जब भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक अमूल्य उपलब्धि हासिल की.
प्रधानमंत्री का यह सुझाव बहुत ही महत्वपूर्ण है और विज्ञान की मूल भावना को दर्शाता है. विज्ञान का असल लक्ष्य मानवता की भलाई है. विज्ञान जगत में प्रतियोगिता अवश्य होती है, मगर हर अभियान से सारी दुनिया जुड़ी होती है. कामयाबी से दूसरे देशों को भी फायदा होता है. जैसे यदि फ्लोरिडा में बैठे अमेरिकी वैज्ञानिक भूकंप के बाद सूनामी की भविष्यवाणी कर देते हैं, तो उससे हर प्रभावित देश को फायदा होता है.
इसी प्रकार, भारत ने प्रक्षेपण यानों की तकनीक में जो महारत हासिल कर ली है, उसकी वजह से दूसरे देश भी अपने उपग्रहों को भेजने में भारत की मदद लेते हैं. ब्रिक्स देशों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान में सहयोग का विचार बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि अंतरिक्ष विज्ञान की तीन बड़ी महाशक्तियां इस संगठन का हिस्सा हैं. ब्रिक्स में भारत के अलावा रूस और चीन अंतरिक्ष के क्षेत्र की बड़ी ताकतें है. इन देशों के अंतरिक्ष विज्ञान में सहयोग से अंतरिक्ष विज्ञान की अनेक गुत्थियां सुलझ सकती हैं और नये अवसरों का अंबार खड़ा हो सकता है.