Special Ops 1.5 Review: पिछले सीजन के मुकाबले कमतर रह गयी है, यहां पढ़ें रिव्यू

वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स का स्पिन ऑफ स्पेशल ऑप्स 1.5 पिछले सीजन के मुकाबले कमतर रह गयी है. . कहानी दिल्ली से होते हुए श्रीलंका, रूस और यूक्रेन तक पहुंचती है. सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा बन पड़ा है.

By कोरी | November 13, 2021 9:08 PM
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सीरीज- स्पेशल ऑप्स 1.5 (द स्टोरी ऑफ हिम्मत सिंह)

निर्माता- नीरज पांडे

निर्देशक- नीरज पांडे और शिवम नायर

कलाकार- के के मेनन, आफताब शिवदसानी, विनय पाठक,ऐश्वर्या सुष्मिता, आदिल खान,गौतमी और अन्य

प्लेटफार्म-डिज्नी प्लस हॉटस्टार

रेटिंग ढाई

हिंदी सिनेमा में स्पिन ऑफ ट्रेंड के शुरुआत का श्रेय निर्माता निर्देशक नीरज पांडे को जाता है. उनकी फिल्म बेबी का स्पिन ऑफ फ़िल्म नाम शबाना थी. नीरज अब अपनी वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स का स्पिन ऑफ स्पेशल ऑप्स 1.5 लेकर आए हैं. सीरीज के शीर्षक से डेढ़ गुना जुड़ा है. पिछला सीजन शानदार था इसलिए इस नए सीजन से उम्मीदें भी डेढ़ गुना ही थी लेकिन यह सीरीज पिछले सीजन के मुकाबले कमतर रह गयी है.

पिछले सीजन की तरह इस सीजन भी हिम्मत सिंह( के के मेनन) के लिए एक जांच कमिटी गठित है. जिसकी जिम्मेदारी चड्ढा ( परमीत सेठी) और मुखर्जी( काली प्रसाद मुखर्जी) को ही मिली है. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही तय होने हैं कि हिम्मत सिंह को रिटायरमेंट के बाद क्या आर्थिक फायदे मिलेंगे या उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया है. हिम्मत सिंह के करीबियों में से एक अब्बास(विनय पाठक) को बुलाया जाता है और अब्बास 2001 में संसद में हुए हमले के बाद बर्खास्त हिम्मत सिंह के सफल रॉ एजेंट बनने को कहानी को बताता है. हिम्मत सिंह की निजी जिंदगी भी इस बार कहानी की अहम धुरी है.

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देश के अलग अलग हिस्सों में रह रहे भारतीय उच्च अधिकारियों की हत्या हो रही है. कइयों को हनी ट्रैप में फंसाकर उनसे देश के सुरक्षा से जुड़ी सीक्रेट जानकारी ली जा रही है. एक के बाद एक इन घटनाओं से परेशान होकर रॉ प्रमुख ,बर्खास्त हिम्मत सिंह को केस सौंपते हैं. मालूम पड़ता है कि रॉ का एक्स एजेंट मनिंदर (आदिल खान) रॉ के खिलाफ चला गया है और वही सब जानकारी दुश्मन देशों को बेचने वाला है.

क्या हिम्मत मनिंदर को उसके अंजाम तक पहुंचाकर देश की सुरक्षा से जुड़े अहम सीक्रेट्स को हासिल कर पाएगा. यही कहानी चार एपिसोड्स में कही गयी है।मौजूदा समय में जहां आठ से दस एपिसोड्स के ज़रिए कहानी को कहने का चलन ओटीटी पर है. वही यह सीरीज इस मामले में एक अच्छी और नयी पहल करती है. कहानी की खामियों की बात करें तो सीरीज की कहानी पूर्वानुमानित है. क्लाइमेक्स इस बार बहुत कमजोर रह गया है. जो आपको पहले ही मालूम हो जाता है. जिस वजह से यह सीरीज रोमांचक नहीं है.

नीरज पांडे इस बार जासूसी दुनिया रचने में कुछ खास नयापन भी नहीं ला पाए हैं हनीट्रैप हो या फिर दूसरे पहलू. सब सुन सुनाए देखें दिखाए हैं. लेकिन ये भी कहना होगा कि मामला बोझिल भी नहीं हुआ है. चार एपिसोड वाली यह सीरीज पहले एपिसोड से आखिरी एपिसोड तक बांधे रखने की क्षमता है. आपके मन में सीरीज देखते हुए ये सवाल भी आ सकता है कि हिम्मत सिंह के साथ घटी घटनाएं अधिकतर निजी हैं ऐसे में अब्बास को इन सबके बारे में कैसे जानकारी थी. इसे ही शायद सिनेमैटिक लिबर्टी कहते हैं.

अभिनय की बात करें तो यह इस सीरीज की यूएसपी है और इसमें अभिनेता के के मेनन बाज़ी मार ले जाते हैं. हिम्मत सिंह के किरदार में एक बार फिर उन्होंने जान डाल दी है. हां उनका मेकअप अखरता है. उनको पर्दे पर युवा दिखाने के लिए जिस मेकअप का इस्तेमाल किया गया है. वह बहुत ही चलताऊ है.

अभिनेता आफताब शिवदसानी सीरीज में अलहदा अंदाज़ में नज़र आए हैं. जिसके लिए उनकी तारीफ करनी होगी. विनय पाठक पिछले सीजन की तरह चित परिचित अंदाज़ में नज़र आए हैं. फ़िल्म के नकारात्मक पहलू को संभालने वाले अभिनेता आदिल खान और ऐश्वर्या सुष्मिता प्रॉमिसिंग रहे हैं. बाकी के किरदारों ने भी अपने अभिनय के साथ न्याय किया है.

सीरीज का कैमरा वर्क कहानी को और रोचक बनाता है. कहानी दिल्ली से होते हुए श्रीलंका, रूस और यूक्रेन तक पहुंचती है. सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा बन पड़ा है. सीरीज के आखिर में तीसरे सीजन की भी बात पुख्ता हो जाती है.

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