झारखंड में नक्सलियों से भिड़ता है स्पेशल फोर्स Jaguar, जानें क्यों है इतना खास?
झारखंड में नक्सलियों के आतंक पर लगाम लगाने और प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित जीवन देने के लिए केंद्रीय बलों के सहयोग की जरूरत नहीं पड़ती और ना ही स्थानीय पुलिस इनसे निपटने का काम करती है. तो भला झारखंड में नक्सलियों पर लगाम किसने लगाया है?
Jharkhand Jaguar Police: झारखंड में नक्सलियों के आतंक पर लगाम लगाने और प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित जीवन देने के लिए केंद्रीय बलों के सहयोग की जरूरत नहीं पड़ती और ना ही स्थानीय पुलिस इनसे निपटने का काम करती है. तो भला झारखंड में नक्सलियों पर लगाम किसने लगाया है. स्पेशल टास्क फोर्स की झारखंड में गठित स्पेशल यूनिट के द्वारा इस जांबाजी को अंजाम दिया जाता है. झारखंड जगुआर के नाम से यह फोर्स जाना जाता है.
राज्य गठन के 8 साल बाद झारखंड जगुआर की स्थापना
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गतिविधि की रोकथाम के लिए और उनके आतंक को पूरी तरह न्यूट्रलाइज करने के लिए राज्य गठन के करीब 8 साल पर झारखंड जगुआर की स्थापना की गयी. जिस उद्देश्य के इस बल का उद्घाटन किया गया उसपर यह पूरी तरह खड़ी उतरी. साथ ही राज्य की केंद्रीय बलों पर निर्भरता भि बहुत ही कम हुई. कहा तो यह भी जाता है कि झारखण्ड जगुआर (STF) के जवान गुरिल्ला वार में महारथ हासिल कर चुके हैं और नक्सलियों में इनके नाम से खौफ भर जाता है.
टीपीसी, PLFI माओवादी के खिलाफ भी अभियान चलाया
कई बार ऐसा मौका भी आया जब झारखण्ड जगुआर के जवान नक्सल ऑपरेशन के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए. हालांकि, इससे जवानों के हौसले में कमी नहीं आई बल्कि जोश और जज्बा और बढ़ गया. जानकारी हो कि जगुआर के जवानों ने ना केवल माओवादी और नक्सली, बल्कि, टीपीसी, PLFI माओवादी सहित कई संगठनों के खिलाफ भी अभियान चलाया. बता दें कि इनकी ट्रेनिंग बड़ी कठिन होती है.
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जगुआर में 40 असॉल्ट ग्रुप, 12 बम स्क्वायड टीम
जगुआर में 40 असॉल्ट ग्रुप, 12 बम स्क्वायड टीम है. जिला बल और अर्धसैनिक बल के साथ उग्रवाद उन्मूलन के लिए अभियान चलाया गया है. साथ ही बता दें कि झारखंड जगुआर के पुलिसकर्मियों को दिया जाने वाला 50 प्रतिशत STF (स्पेशल टास्क फोर्स) भत्ता का लाभ अब फिर से मिलेगा. दरअसल, झारखंड जगुआर के पुलिसकर्मियों को मिलने वाले एसटीएफ़ भत्ता पर वर्ष 2019 में रोक लगा दी गई थी.