Navratri 2022: नवरात्र में पूजे जाते हैं नीम के पेड़, मां दुर्गा का इस पेड़ में होता है वास
Navratri 2022: नीम के पेड़ में देवी दुर्गा का वास होता है. इस लिए नीम के पेड़ को शुद्ध और गुणकारी पेड़ माना जाता है. नीम का पेड़ धरती पर किसी वरदान से कम नहीं हैं. आइए जानें इसकी अन्य खूबियां..
ज्योतिष शास्त्र में नीम का संबंध शनि और केतु से जोड़ा गया है, इसलिए दोनो ग्रहों की शांति के लिए अपने घर में नीम का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है. नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है और इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधित समस्याएं दूर हो जाती है.
नीम के पेड़ में गणेश जी का वास है और मां दुर्गा का भी इसलिए नीम के पेड़ को काफी जगह नीमारी देवी के नाम से भी जाना जाता है.
नीम को संस्कृत में निम्ब भी कहते हैं. यह वृक्ष अपने औषधीय गुणों के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध माना जाता है. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में भी नीम इसका उल्लेख किया गया है.
नीम के पेड़ का औषधीय के साथ-साथ कई धार्मिक महत्त्व भी है. नीम की पत्तियों के धुएं से बुरी और प्रेत आत्माओं से बचाव होता है. नीम के पत्तों को जलाने से मच्छर भी भगाते हैं.
आयुर्वेद की दुनिया में नीम लोकप्रिय और महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटी है. इसकी न केवल पत्तियां, बल्कि पेड़ के बीज, जड़ों और छाल में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं.
नीम सेहत और सौंदर्य दोनों के लिए ही गुणकारी माना जाता है. नीम के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. यही वजह है कि यह संक्रमण, जलन और त्वचा की किसी भी तरह की समस्याओं से निजात दिलाता है. नीम में विटामिन और फैटी एसिड त्वचा की लोच में सुधार करते हैं और झुर्रियों और महीन रेखाओं को आसानी से कम करने में मदद करता है.