Mohammed Habib Passed Away: भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान और ‘इंडियन पेले’ के नाम से मशहूर महान फुटबॉलर मोहम्मद हबीब का मंगलवार को निधन हो गया. वह 74 वर्ष के थे. 1970 के दशक में टीम का नेतृत्व करने वाले फुटबॉलर लंबे समय से भूलने की बीमारी और पार्किसन सिंड्रोम से पीड़ित थे. हबीब ने मंगलवार शाम करीब 4 बजे अपने शहर हैदराबाद में अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं. हबीब भारत के इकलौते फुटबॉल खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दिग्गज फुटबॉलर पेले के खिलाफ गोल दागा था.
17 जुलाई, 1949 को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में जन्मे हबीब ने 1965-75 एक दशक तक भारत का प्रतिनिधित्व किया. वह उस स्वर्णिम पीढ़ी का हिस्सा थे, जिसने बैंकॉक में 1970 के एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था. टीम का नेतृत्व उनके राज्य के साथी सैयद ने किया था और इस टीम के मैनेजर पीके. बनर्जी थे.
वह उस टीम का भी हिस्सा थे जिसने 1970 में मर्डेका टूर्नामेंट में तीसरा स्थान हासिल किया था और 1971 में सिंगापुर में पेस्टा सुकन कप में अच्छा प्रदर्शन किया था. 1967 में कुआलालंपुर में मर्डेका कप में थाईलैंड के खिलाफ डेब्यू करने के बाद, उन्होंने 35 अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया और इस दौरान 11 गोल किए.
हबीब अपने फुर्तीले फुटवर्क के लिए जाने जाते थे और 17 साल के लंबे घरेलू करियर में उन्होंने कोलकाता के सभी तीन बड़े क्लबों का प्रतिनिधित्व किया- पूर्वी बंगाल के साथ कई कार्यकाल (1966-68, 1970-74 और 1980-81) , मोहन बागान (1968-69, 1976-78, और 1982-84) और मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब (1975 और 1979).
मोहम्मद हबीब के करियर का सबसे शानदार पल 1977 में आया. जब उन्होंने एक फैंडली मैच में अपनी टीम मोहन बगान के लिए खेलते हुए पेले की टीम कॉसमॉस क्लब के खिलाफ गोल दागा था. उस टीम में पेले, कार्लोस अलबर्टो, जॉर्जियो सी जैसे धुरंधर थे. बारिश से भीगे इस मैच में उनके गोल के चलते मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था. इसके बाद फुटबॉल सनसनी पेले ने हबीब की तारीफ भी की थी.
कोलकाता में ‘बड़े मियां’ के नाम से जाने जाने वाले छोटे कद के हैदराबादी फॉरवर्ड को कई लोग ‘इंडियन पेले’ भी कहते थे और उन्हें 1980 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हबीब ने घरेलू प्रतियोगिताओं में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया और 1969 में संतोष ट्रॉफी जीतने में मदद की. इतना ही नहीं वो 11 गोल के साथ उस संस्करण के शीर्ष स्कोरर के रूप में उभरे.
सर्वोच्च कौशल वाले खिलाड़ी और मैदान पर शानदार उपस्थिति वाले हबीब को देश का ‘पहला पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी’ माना जाता है. उन्होंने कोलकाता जाने के बाद, वहां के प्रसिद्ध क्लबों के लिए खेले, 1970 और 1974 में ईस्ट बंगाल के साथ आईएफए शील्ड जीती और ईस्ट बंगाल (1980-81) और मोहन बागान (1978-79) दोनों के साथ फेडरेशन कप भी जीता.
हबीब को 2016 में ईस्ट बंगाल भारत गौरव पुरस्कार और 2018 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘प्रथम पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी’ के रूप में बंग विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. एक खिलाड़ी के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, हबीब टाटा फुटबॉल अकादमी (टीएफए) के कोच बने और पश्चिम बंगाल के हल्दिया में भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन अकादमी के मुख्य कोच के रूप में भी काम किया.