सड़कों का फैलता जाल
सड़कों और राजमार्गों की गिनती सबसे जरूरी बुनियादी ढांचों में होती है. इनके माध्यम से ना केवल आम लोगों को सुविधा होती है बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होता है.
हाइवे और फ्लाइओवर की तस्वीरें भारत की तरक्की को दर्शाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. देशभर में सड़कों का जाल इतनी तेजी से फैल रहा है कि भारत सड़क नेटवर्क के मामले में, दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर का देश बन गया है. केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने केंद्र सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया है कि पिछले नौ साल में भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 59 प्रतिशत बढ़ गयी है. उन्होंने बताया कि 2013-14 में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 91,287 किलोमीटर थी, जो 2022-23 तक बढ़कर 1,45,240 किलोमीटर हो गयी है. किसी भी देश की आर्थिक सेहत का उसके बुनियादी ढांचे से सीधा संबंध होता है. इनमें सड़कों और राजमार्गों की गिनती सबसे जरूरी बुनियादी ढांचों में होती है.
इनके माध्यम से ना केवल आम लोगों को सुविधा होती है, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होता है. समुचित सड़क संपर्क से पैसे और समय दोनों की बचत होती है. इनसे कृषि, विनिर्माण, व्यापार और पर्यटन जैसेे क्षेत्रों की क्षमता और उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है. कोई भी नयी परियोजना उस सड़क के आस-पास रहने वाले ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों और वहां के लोगों के लिए नये अवसर लेकर आती है. जैसे, सड़कों के खुलने से वाहनों और यात्रियों के लिए पेट्रोल पंपों, होटलों, रेस्तरां, टोल नाकों जैसी जगहों की जरूरत पड़ती है, जिनसे स्थानीय लोगों के समक्ष कमाई और रोजगार के नए रास्ते खुलते हैं. सड़कों के अच्छे नेटवर्क से किसी देश की छवि बेहतर होती है और उससे विदेशी निवेश भी आकर्षित हो सकता है.
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जब इस साल फरवरी में एक बांड जारी किया तो मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में पहले ही दिन इसे सात गुना ज्यादा संख्या में सब्स्क्राइब कर लिया गया. मगर, सड़कों का जाल बिछाने के साथ-साथ सड़क सुरक्षा को लेकर भी गंभीर रहने की जरूरत है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या 2011 में 1,42,485 थी जो 2019 में बढ़कर 1,51,113 हो गयी थी. परिवहन मंत्री गडकरी ने पिछले वर्ष कहा था कि दुर्घटनाओं की संख्या वर्ष 2025 तक घटाकर आधी और वर्ष 2030 तक शून्य कर देने का लक्ष्य रखा गया है. अर्थव्यवस्था और समाज के फायदों को देखते हुए सड़कों का निर्माण जारी रहना चाहिेए. साथ ही, सड़कों का रखरखाव और उनसे गुजरती जिंदगियों की सुरक्षा को लेकर मुस्तैद रहना भी जरूरी है.