पश्चिम बंगाल में एसएससी भर्ती मामले पर कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) की स्पेशल बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल लंबी सेवा अवैध रोजगार को मान्य नहीं कर सकती है. मामले की सुनवाई सोमवार को न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की पीठ के समक्ष हुई. जज ने कहा, ”किसने कितने दिन काम किया यह बड़ा मुद्दा नहीं है, मुख्य मुद्दा यह है कि नियुक्ति वैध है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एसएससी भर्ती भ्रष्टाचार से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय की विशेष पीठ द्वारा छह महीने के भीतर पूरी की जाए.उसी आदेश के तहत विशेष पीठ में सुनवाई हो रही है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की विशेष खंडपीठ ने भी जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा पारित आदेश के पक्ष में अपनी बात रखी.
जस्टिस गंगोपाध्याय ने भर्ती मामले में सभी अवैध नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया. हालांकि, बाद में आदेश को निलंबित कर दिया गया था. जो लोग लंबे समय से स्कूल में कार्यरत हैं . हालांकि, जज की इस टिप्पणी का राज्य के वकील कल्याण बनर्जी ने प्रतिवाद किया. उन्होंने सिंगल बेंच के आदेश का हवाला देते हुए कहा, ‘एसएससी को जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच से हमेशा डर लगता था और वादी ने भी चुन-चुन कर सारे मामले जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच में दाखिल किये. तीन साल में वादियों ने दूसरी बेंच में केस क्यों नहीं दाखिल किया?
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इसके बाद जज ने कहा, नौकरी का भविष्य नियुक्ति की वैधता पर निर्भर करेगा. अवैध नियुक्ति केवल इस आधार पर मान्य नहीं होगी कि वह लंबे समय से कार्यरत है. कोर्ट ने एसएससी मामले में नई मेरिट लिस्ट प्रकाशित करने का आदेश दिया है. नौकरी चाहने वालों में से कुछ ने आपत्ति जताई है. जज ने कहा, ”जब भी कोई किसी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होता है तो उसे पता होता है कि मेरिट लिस्ट जारी होगी. मेरिट लिस्ट या पैनल प्रकाशित होने पर किसी का अपमान कैसे हो सकता है ?