Sahibganj News: बरहरवा- नगर पंचायत क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में साफ-सफाई बनाये रखने के उद्देश्य से 200 की संख्या में स्टेनलेस स्टील डस्टबीन की खरीदारी कर चुनिंदा स्थानों में लगाया गया था. इन डस्टबीनों को पिछले वर्ष जनवरी में खरीदकर लगाया गया था लेकिन महज एक साल के भीतर ही ये डस्टबीन टूटकर या खुलकर अलग होने लगे हैं. इसे लेकर स्थानीय नगरवासियों में भी चर्चा होने लगी है कि आखिर नगर पंचायत के द्वारा कैसी गुणवत्ता वाली डस्टबीन लगायी गयी है? अब डस्टबीन टूट जाने के बाद लोग उसी स्थान पर कचरा डालने लगे हैं, जिससे वहां गंदगी का अंबार भी लग रहा है. इससे आम लोगों को भी परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है.
बताते चलें कि जनवरी 2021 में नगर पंचायत बरहरवा ने गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) पोर्टल के जरिये एमको कंपनी की 12 किलो वाली 200 स्टेनलेस स्टील डस्टबीनों की खरीदारी की थी, जिसकी कुल कीमत 41 लाख 99 हजार 800 रूपये आयी थी. जिसमें एक डस्टबीन की कीमत 21 हजार रूपये आंकी गयी थी. जानकारों की मानें तो स्टेनलेस स्टील लगाये जाने के लिये जिस स्टील का उपयोग किया गया है, उसकी कीमत 480 रूपये प्रति किलो की दर से अधिक से अधिक 6 से 7 हजार रूपये है लेकिन नगर पंचायत बरहरवा ने इसे लगभग तीगुने दाम में खरीदा है. वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य में डस्टबीन का खरीदा जाना अपने आप में एक सवाल खड़ा करता है.
वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी 100 लीटर वाले प्लास्टिक के डस्टबीन नगर में लगाये गये थे, जिसके लिये एनआईटी 04/19-20 के द्वारा 210 डस्टबीन खरीदे जाने के लिये निविदा निकाली गयी थी. जिसमें पीआर इंटरप्राईजेज सप्लायर के द्वारा 9 हजार रूपये प्रति डस्टबीन के हिसाब से 200 डस्टबीन की आपूर्ति की गयी थी. जिसके बदले सप्लायर को 14 लाख 93 हजार 207 रूपये का भुगतान किया गया था. इसमें भी लोगों का मानना है कि एक डस्टबीन की कीमत अधिक से अधिक 2 से 3 हजार रूपये ही थी लेकिन नगर ने इसे दोगुने दाम में खरीद लिया. प्लास्टिक डस्टबीन लगाये जाने के कुछ महीनों बाद ही डस्टबीन टूट-फूट गये तथा 50 से अधिक डस्टबीन नगर पंचायत कार्यालय की छत पर रखे-रखे सड़ गये. इससे संबंधित खबर आपके अपने अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था.
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नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी देवराज गुप्ता ने कहा कि नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा दिये गये दिशा-निर्देश के आलोक में जीईएम पोर्टल से खरीदारी गयी है. सभी खरीदारी में पूरी पारदर्शिता बरती गयी है.
रिपोर्ट : अभिजीत कुमार