पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की मतगणना के पांच दिन बाद भी आयोग को मतपत्रों का मिलान करने में मशक्कत करनी पड़ रही है. उदाहरण के तौर पर सिउड़ी की भवानीपुर ग्राम पंचायत का गुरकाटा बूथ है. पीठासीन अधिकारी की गणना के अनुसार यहां 559 वोट पड़े हैं. तृणमूल कांग्रेस को 338 वोट मिले. 38 वोट रद्द कर दिये गये. भाजपा को 189 मिले. जोड़ने पर यह 565 होता है. विपक्ष ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि ये छह अतिरिक्त वोट किसने दिये ? सिर्फ सिउड़ी ही नहीं, ऐसी शिकायतें अलग-अलग जगहों से भी आ रही हैं. ऐसी ही तस्वीर सोनारपुर की कालिकापुर-1 पंचायत में देखने को मिली है.
वहां ऐसे ‘बेनामी’ वोट भी मिले हैं. इस पंचायत के 44 भागों में मतदाताओं की कुल संख्या 1422 है. मतदान अधिकारियों द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक यहां 1196 लोगों ने मतदान किया. लेकिन, चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के मुताबिक यह संख्या 1522 है. दूसरी ओर, उस क्षेत्र के 51वें भाग में स्थिति विपरीत है. मतदान प्रभारी अधिकारियों द्वारा दी गयी जानकारी में बताया गया है कि 1047 लोगों ने मतदान किया. लेकिन, गिने गये वोटों की संख्या 878 है.
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भाजपा करीब 6000 बूथों पर दोबारा चुनाव कराने की मांग को लेकर पहले ही कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया है कि जीतने वाले उम्मीदवारों का भविष्य निश्चित नहीं है. यानी अगर किसी बूथ पर गड़बड़ी पायी गयी, तो वहां दोबारा चुनाव कराया जा सकता है. हाइकोर्ट के इस फैसले से आयोग हमेशा की तरह दबाव में है. मालूम हो कि राजीव सिन्हा के कार्यालय ने जिलाधिकारियों से पूरी रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने गड़बड़ी वाले बूथों के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया है.
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