Loading election data...

Sterilization Scam : झारखंड के गढ़वा में नसबंदी घोटाला, पढ़िए कैसे स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने निजी अस्पतालों से मिलीभगत कर डकार लिए लाभुकों के रुपये

Jharkhand Sterilization Scam, Garhwa News, गढ़वा (पीयूष तिवारी) : झारखंड के गढ़वा जिले में 2.38 करोड़ रूपये का महिला बंध्याकरण व पुरूष नसबंदी घोटाला सामने आया है. इस मामले में एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) रांची के प्रशासी पदाधिकारी की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट अनुशंसा के साथ विभाग को सौंप दी है. इस रिपोर्ट के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई के लिये सरकार के उपसचिव गुरूचरण भगत की ओर से मंत्रिमडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (समन्वय) के अवर सचिव को लिखा गया है. परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना की जांच में टीम ने पाया है कि फर्जी महिला व पुरूषों की नसबंदी करते हुये उनको मिलनेवाले 2.38 करोड़ रूपये के प्रोत्साहन राशि का गबन किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2021 11:07 AM
an image

Jharkhand Sterilization Scam, Garhwa News, गढ़वा (पीयूष तिवारी) : झारखंड के गढ़वा जिले में 2.38 करोड़ रूपये का महिला बंध्याकरण व पुरूष नसबंदी घोटाला सामने आया है. इस मामले में एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) रांची के प्रशासी पदाधिकारी की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट अनुशंसा के साथ विभाग को सौंप दी है. इस रिपोर्ट के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई के लिये सरकार के उपसचिव गुरूचरण भगत की ओर से मंत्रिमडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (समन्वय) के अवर सचिव को लिखा गया है. परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना की जांच में टीम ने पाया है कि फर्जी महिला व पुरूषों की नसबंदी करते हुये उनको मिलनेवाले 2.38 करोड़ रूपये के प्रोत्साहन राशि का गबन किया गया है.

इस मामले में गढ़वा सिविल सर्जन के अलावा पांच अन्य सरकारी कर्मी व आठ निजी अस्पताल के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की गयी है. जिनके विरूद्ध इस घोटाले के लिये प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की गयी है, उसमें तत्कालीन सिविल सर्जन के अलावा अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी गढ़वा, तत्कालीन जिला कार्यक्रम प्रबंधक गढ़वा, तत्कालीन जिला कार्यक्रम समन्वयक गढ़वा, उपाधीक्षक अनुमंडल अस्पताल नगरउंटारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी भवनाथपुर सहित सूर्या क्लीनिक एंड वेलफेयर सोसाइटी गढ़वा, आरोग्यम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर गढ़वा, आयुष ट्रस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर रंका, संजीवनी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर नगरउंटारी, गुलाब हॉस्पिटल एंड वेलफेयर सोसाइटी नगरउंटारी, नवनीत सर्जिकल सेंटर गढ़वा, लौंग लाइफ हॉस्पिटल भवनाथपुर, श्रीयंत्रम हॉस्पिटल नगरउंटारी के नाम शामिल हैं.

Also Read: गढ़वा में घटिया सामग्री बेचने के आरोप में रिलायंस मार्ट समेत 22 दुकानों पर प्राथमिकी, चार सैंपल खाद्य मानक जांच में पाये गये फेल

जांच टीम ने इस मामले की और विस्तृत जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से भी कराने की अनुशंसा की है. यह मामला वितीय साल 2015-16, 2016-17 तथा 2017-18 से जुड़ा हुआ है. गबन के इस मामले में पिछले साल ही जिला कार्यक्रम प्रबंधक आशुतोष मिश्रा को बर्खास्त कर दिया गया था. सरकार के उपसचिव मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने विभागीय ज्ञापांक संख्या 1147 दिनांक 12 नवबर 2020 के साथ संलग्न जांच रिपोर्ट अवर सचिव को प्रेषित किया है. यह जांच एनएचएम के प्रशासी पदाधिकारी की ओर से गठित तीन सदस्यीय टीम ने की थी. इसमें एनएचएम के राज्य वित प्रबंधक उमाप्रसाद चौरसिया, एनएचएम परिवार कल्याण के राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ राहुल किशोर सिंह तथा स्वास्थ्य सेवाओं के उपनिदेशक डॉ वीएन खन्ना शामिल थे.

जांच टीम ने गढ़वा में परिवार कल्याण योजना के तहत संचालित महिला बंध्याकरण एवं पुरूष नसबंदी योजना की जांच में पाया कि उपरोक्त निजी अस्पतालों की ओर से इस योजना में तीन साल के दौरान महिलाओं का बंध्याकरण व पुरूषों की नसबंदी से संबंधित जिन लाभुकों की सूची टीम को उपलब्ध करायी गयी, उनमें से कई लाभुक फर्जी पाये गये, जबकि कई लाभुकों ने प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने की शिकायत की. नियमानुसार इस योजना के लाभुकों के खाते में पैसे डालने चाहिये थे, लेकिन इसमें शामिल स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि उन्होंने बैंक से योजना के रूपये निकालकर नकद वितरण किया है. इसकी सत्यता की रेंडबली (अक्रमणिकरण) जांच के लिये जब टीम के सदस्य गढ़वा प्रखंड के नकदरवा गांव गये, तो वहां बबीता देवी (पति सकेंद्र पाल), रानी देवी (पति रमेश पाल) तथा रीना देवी (पति गणेश पाल) ने बताया कि उन्होंने सूर्या क्लिनिक में बंध्याकरण कराया है, लेकिन उन्हें प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है, जबकि इसी गांव की रंजू देवी (पति अजय पाल) नामक महिला के होने का पता टीम को नहीं चल सका.

Also Read: पदाधिकारियों के अनुपस्थित होने के कारण राशन कार्ड में नाम जोड़वाने के लिए लगा रहे लोग रहे ब्लॉक का चक्कर

इसी तरह अन्य अस्पतालों से संबंधित जो जांच की गयी, उसकी सूची मिलान में कई फर्जी लाभूक पाये गये. जांच टीम ने यह भी पाया कि इस योजना के संचालन के लिये जिन अस्पतालों के साथ एमओयू किया गया है, उन्हें एमओयू की तिथि के काफी बाद क्लिनिकल स्टेबलेस्मेंट एक्ट के तहत अस्पताल संचालन की मान्यता दी गयी. उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत बंध्याकरण करानेवाली महिला को 1400 रूपये तथा नसबंदी करानेवाले पुरूष को दो हजार रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version