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धनबाद में पत्थर खदान हादसा: पोकलेन मालिक सह खदान संचालक समेत 5 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

बुधवार की सुबह धनबाद के धनवार थाना क्षेत्र के पारोडीह गांव में पत्थर खदान में हुए हादसे को लेकर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. माइनिंग इंस्पेक्टर अभिजीत मजूमदार ने बताया कि घटना वाली खदान लीगल है. डीजीएमएस की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 19, 2023 5:43 AM

खोरीमहुआ: झारखंड के धनबाद में बुधवार की सुबह धनवार थाना क्षेत्र के पारोडीह गांव में पत्थर खदान में हुए हादसे में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. माइनिंग इंस्पेक्टर अभिजीत मजूमदार ने बताया कि घटना वाली खदान लीगल है. डीजीएमएस की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. रिपोर्ट के आधार पर माइनिंग विभाग की विधि सम्मत धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया जायेगा. जिला डीएसपी वन संजय राणा ने बताया कि धनवार थाना में कांड संख्या 96/23 दर्ज करते हुए पोकलेन सह खदान मालिक सुदामा यादव, संजय साव अन्य साझेदारों समेत पांच लोगों को नामजद किया गया है.

मालूम रहे कि बुधवार को पत्थर खदान में दो हाइवा तथा एक पोकलेन पत्थर के चट्टान से दब गया था. इसमें पोकलेन चालक सिकंदर पंडित की मौत हो गयी थी, वहीं, दो हाइवा चालक गंभीर रूप से घायल हो गये थे. घटना के बाद सात लाख मुआवजा के बाद मामला रफा-दफा कर देने का मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. धनवार और घोड़थंभा थाना क्षेत्र के हेमरोडीह, पारोडीह, माधो, गलवाती, करगाली, दलदल, गोरहंद, अलग्देशी, बैजुडीह, सहरपुरा समेत करीब दर्जन गांव में सैकड़ों अवैध पत्थर खदान संचालित हैं. कुछ वैध खदान भी हैं. खदानों के मालिक बिना फेंसिंग, वैध ब्लास्टिंग कागजात व बिना सुरक्षा व्यवस्था के पत्थर निकाल रहे हैं. कई खदान चार सौ फीट गहरी है. बड़े-बड़े मोटर पंंपों से पानी निकालकर बहाया जा रहा है. इससे जलस्तर भी नीचे चला गया है. चापाकाल, तालाब, कुआं व अन्य जलस्रोत सूख रहे हैं. इन क्षेत्रों में दिन और रात रुक-रुक कर लगातार ब्लास्टिंग होती है.

भारी वाहनों से पत्थर की ढुलाई के कारण धूल उड़ने से आम लोगों को सड़क पर आवागमन में परेशानी हो रही है. फर्नीचर के लिए जाना जाता है घोड़थंभा बाजार. घोड़थंभा बाजार आसपास के दर्जनों जिलों में फर्नीचर बाजार के लिए जाना जाता है. कारण यहां अवैध रूप से कई आरा मिल संचालित हैं. ऐसे में सस्ती दर पर लकड़ी मिल जाती है और फर्नीचर बनाया जाता है. इधर, लकड़ी माफिया मोटी कमाई के लिए आसपास के जंगलों को साफ कर रहे हैं. इसके खिलाफ वन विभाग की ओर से कई बार कार्रवाई की गयी, परंतु हर बार के नयी-नयी जगहों पर आरा मिल खुल जाते हैं. वर्षों से यह अवैध धंधा इसी तरह चल रहा है. मिल संचालकों के अनुसार इसमें विभाग के कई अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है. स्थानीय कई लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अधिकारी अगर चाह लें तो जंगलों को कटने से बचाया जा सकता है, परंतु ऐसा नहीं हो रहा है. आसपास के जंगलों में प्रतिदिन लकड़ी काटी जाती है. यहां से लकड़ी आरा मिल और उसके बाद फर्नीचर की दुकान में पहुंचायी जा रही है.

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