जब नंगे पैर से खेलते हुए मेजर ध्यानचंद ने लगायी गोल्डन हैट्रिक, भारतीयों के जब्जे को देख हिटलर ने भी किया सैल्यूट

2020 Tokyo Olympics, Major Dhyan Chand : बर्लिन ओलिंपिक के आयोजन की तैयारियां जर्मनी ने बड़ी ही धूमधाम से की जा रही थी. ओलिंपिंक शुरू होने से 13 दिन पहले 17 जुलाई, 1936 को जर्मनी के साथ भारत को प्रैक्टिस मैच खेलना था.

By Prabhat Khabar News Desk | July 4, 2021 1:52 PM

भारत (India) ने 1936 में हॉकी (Hockey) में अपनी गोल्डन हैट्रिक पूरी की थी. 15 अगस्त 1936 बर्लिन (Berlin) में हुए इन ओलिंपिक खेलों में भारत ने मेजबान जर्मनी (Germany) को मात देकर जीत हासिल की थी. जैसे-जैसे बर्लिन ओलिंपिक नजदीक आ रह था वैसे-वैसे उनके खेल में धार बढ़ती ही जा रही थी. 1936 बर्लिन ओलिंपिक से पहले जर्मनी के अखबारों में भारतीय हॉकी के किस्से छप रहे थे और ध्यानचंद और रूप सिंह का खेल देखने के लिए पूरा जर्मनी बेताब हुआ जा रहा था.

बर्लिन ओलिंपिक के आयोजन की तैयारियां जर्मनी ने बड़ी ही धूमधाम से की जा रही थी. ओलिंपिंक शुरू होने से 13 दिन पहले 17 जुलाई, 1936 को जर्मनी के साथ भारत को प्रैक्टिस मैच खेलना था. इस मैच में भारत ने जर्मनी को 4-1 से हराया. इसके बाद भारत ने सबक लेते हुए ओलिंपिक के लीग के पहले मैच में हंगरी को 4-0, फिर अमेरिका को 7-0, जापान को 9-0, सेमीफाइनल में फ्रांस को 10-0 से हराया और बिना गोल खाये हर किसी को हराकर फाइनल में पहुंचा.

Also Read: भारत का वह क्रिकेटर जिसने हॉकी में जमायी धाक, ओलंपिक में जीताए मेडल, मेजर ध्यानचंद भी करते थे सलाम

देश की आजादी ग्यारह साल बाद मिली, लेकिन इत्तेफाक फाइनल का दिन भी 15 अगस्त का ही था. 1936 बर्लिन ओलिंपिक हॉकी के फाइनल में भारत का सामना जर्मनी से नहीं बल्कि हिटलर से होना था. वो हिटलर, जिसने पूरी दुनिया के दिलों में अपनी तानाशाही से खौफ पैदा कर दिया था, लेकिन एक मामूली दर्जे के भारतीय सिपाही के आगे दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह ने घुटने टेक दिये थे. पूरा स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था, हिटलर की मंजूरी मिलने के बाद रेफरी ने टॉस कर सीटी बजायी और फिर खेल शुरू हुआ.

पहले हाफ में जर्मनी टीम ने बहुत अच्छा खेल दिखाया और भारत को सिर्फ 1-0 से बढ़त लेने दी. ये पहला गोल भी मेजर ध्यानचंद की स्टिक से नहीं बल्कि रूप सिंह की स्टिक से निकला था. दूसरे हाफ में भारतीय कप्तान ध्यानचंद और रूप सिंह ने असली खेल दिखाने के लिए अपने जूते उतार फेंके और नंगे पांव जर्मनी की धरती पर उसी की टीम से लोहा लेने लगे. रूप सिंह के 1 गोल के कारवां को आगे बढ़ाते हुए भारतीय टीम ने लगातार 7 गोल दागे और मैच खत्म होने तक स्कोर 8-1 कर दिया. जर्मनी की टीम हार चुकी थी, लेकिन मैदान में मौजूद हिटलर की आंखें भारत के खिलाड़ी ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह पर ठहर गयीं.

Next Article

Exit mobile version