West Bengal : होस्टल के कमरे में फंदे से लटकता मिला छात्र, दोस्तों ने कहा हुई थी रैगिंग

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के बारानगर स्थित भारतीय राष्ट्रीय दिव्यांग संस्थान छात्रावास में प्ररंजन सिंह की अस्वाभाविक मौत के बाद छात्रों ने किया हंगामा. छात्रों ने शिकायत की कि संस्थान में न तो आपातकालीन सुविधाएं हैं और न ही न्यूनतम सेवाएं. इसलिए सागर दत्त को अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.

By Shinki Singh | November 29, 2022 5:07 PM
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पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के बारानगर स्थित भारतीय राष्ट्रीय दिव्यांग संस्थान छात्रावास में प्ररंजन सिंह की अस्वाभाविक मौत को केंद्र कर मंगलवार को भारी हंगामा हुआ. कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने अस्पताल व कॉलेज प्रबंधन पर इमरजेंसी की कोई भी सेवा नहीं होने को लेकर भारी लापरवाही करने का आरोप लगाया है. बिहार का रहने वाला द्वितीय वर्ष का छात्र प्ररंजन सिंह बारानगर के बनहुगली में दिव्यांग संस्थान के छात्रावास में रहता था. आरोप है कि प्ररंजन सिंह कुछ दिन पहले रैगिंग का शिकार हुआ था. संस्थान ने पांच छात्रों को निलंबित भी कर दिया गया था. उसकी मौत के बाद आज सुबह से ही छात्रों का हंगामा जारी है.

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छात्रों ने अस्पताल का गेट बंद कर जबरदस्त किया विरोध प्रदर्शन

छात्रों ने अस्पताल का गेट बंद कर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया और अस्पताल से जुड़ी सेवाएं व्यावहारिक रूप से बंद कर दी गईं. सूचना मिलने के बाद बारानगर थाने की पुलिस पहुंची है. छात्रों ने पुलिस का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया. संस्थान के निर्देशक को भी संस्थान में प्रवेश करने से रोक लगा दिया गया है. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस घटना को लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है. संस्थान की गेट पर ताला लगा दिया है. सूत्रों के मुताबिक अस्पताल के अधिकारी पूरी घटना की जांच होने के बाद ही कुछ कह पाएंगे.

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क्या था मामला 

बिहार के गया के रहने वाले प्रियरंजन सिंह बारानगर डिसएबिलिटी हॉस्पिटल में मेडिकल के छात्र हैं. मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को लगभग रात 11:40 बजे, उनके एक रूममेट ने प्रियंजन को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. करीब 12 बजे तक रूममेट का फोन आया. इसके बाद उन्होंने हॉस्टल के कमरे का दरवाजा खटखटाया. बार-बार खटखटाने के बावजूद जब कोई आवाज नहीं मिली तो अन्य छात्रों ने मिलकर दरावाजा तोड़ दिया. प्रियरंजन को बाहर निकाला गया. छात्रों का कहना है कि वह उस वक्त जिंदा था, लेकिन हमारे यहां ऑक्सीजन तक नहीं था. छात्रों ने शिकायत की कि संस्थान में न तो आपातकालीन सुविधाएं हैं और न ही न्यूनतम सेवाएं. इसलिए सागर दत्त को अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.

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