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विशाल रसोई के माध्यम से सरकारी स्कूलों के 50 हजार छात्रों को पौष्टिक मध्याह्न भोजन मिलेगा

हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा ने रविवार को इस विशाल रसोई की आधारशिला रखी. एक अधिकारी ने बताया कि रसोई का निर्माण सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) एवं रामगढ़ जिला प्रशासन के सहयोग से बेंगलुरु के गैर लाभकारी संगठन अक्षय पात्र फाउंडेशन (एपीएफ) द्वारा किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2023 10:53 AM

झारखंड के रामगढ़ जिले में सरकारी स्कूलों के करीब 50,000 छात्रों को पौष्टिक मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए कैथा गांव में एक विशाल केंद्रीकृत रसोई की स्थापना की जा रही है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा ने रविवार को इस विशाल रसोई की आधारशिला रखी. एक अधिकारी ने बताया कि रसोई का निर्माण सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) एवं रामगढ़ जिला प्रशासन के सहयोग से बेंगलुरु के गैर लाभकारी संगठन अक्षय पात्र फाउंडेशन (एपीएफ) द्वारा किया जा रहा है.

कैथा गांव की 2.5 एकड़ जमीन पर रसोई का निर्माण

सिन्हा वित्तीय मामलों पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा कि रांची से करीब 60 किलोमीटर दूर रामगढ़ शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग 33 के पास स्थित कैथा गांव की 2.5 एकड़ जमीन पर रसोई का निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस केंद्रीकृत अत्याधुनिक रसोई का उद्देश्य छात्रों को स्वच्छ एवं पौष्टिक मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराना है जिससे वंचित बच्चों को कुपोषण से लड़ने में मदद मिलेगी और उनकी स्कूल में उपस्थिति भी बढ़ेगी.’’

सीसीएल ने 15 करोड़ रुपये की राशि दी

रसोई के भवन के निर्माण के लिए सीसीएल ने 15 करोड़ रुपये की राशि दी है. सीसीएल के महाप्रबंधक (कल्याण) बालकृष्ण ने कहा, ‘‘सीसीएल ने तीन साल तक रसोई के संचालन के लिए कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत सात करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.’’ रसोई की स्थापना के लिए सीसीएल, जिला प्रशासन और अक्षय पात्र फाउंडेशन ने हाल में एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.

पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के मकसद से प्रशासन ने संगठन को जमीन दी

रामगढ़ की उपायुक्त माधवी मिश्रा ने कहा कि रामगढ़ जिले में सरकारी विद्यालयों के बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के मकसद से प्रशासन ने संगठन को सरकारी जमीन दी है, जिससे बच्चों के स्कूल छोड़ने की संख्या में निश्चित रूप से कमी आएगी और विद्यालयों में उनकी उपस्थिति बढ़ेगी.

सोर्स – भाषा इनपुट

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