Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. इनकी चर्चा होते ही झारखंड से जुड़ी कई यादें बरबस जेहन में तैरने लगती हैं. इन्हीं में से एक है रेल नगरी गोमो से जुड़ी उनकी यादें. गोमो स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या दो पर स्थापित नेताजी की प्रतिमा के पीछे लिखे शब्द इसके प्रमाण हैं. बताया जाता है कि नेताजी अपने दो भतीजे और बहू के साथ सीधे गोमो स्टेशन पहुंचे थे. 18 जनवरी 1941 को गोमो से महानिष्क्रमण के लिए पेशावर मेल (अब कालका मेल) पकड़े थे. जिसके बाद नेताजी कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आए.
जानकारी के अनुसार 02 जुलाई 1940 को हॉलवेल सत्याग्रह के दौरान भारत रक्षा कानून की धारा 129 के तहत नेताजी को प्रेसीडेंसी जेल भेजा गया था. नेताजी गिरफ्तारी से नाराज होकर 29 नवंबर से अनशन पर बैठ गए थे. जिससे उनकी तबीयत खराब होने लगी थी. उन्हें इस शर्त पर रिहा किया गया था कि तबीयत ठीक होने पर फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा.
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अंग्रेजों ने रिहा करने के बाद नेताजी को एल्गिन रोड स्थित उनके आवास में रहने का आदेश दिया था. इससे भी अंग्रेजों का मन नहीं भरा तो उनके आवास पर कड़ा पहरा बैठा दिया गया था. उक्त मामले में 27 जनवरी 1941 को सुनवाई होनी थी. जिसमें नेताजी को कठोर सजा मिलने वाली थी. नेताजी को इस बात की भनक लग गई थी. वह आवास पर लगे पहरे को आसानी से भेद कर 16 जनवरी की रात्रि निकलकर बंगाल की सरहद पार करने में कामयाब हो गए थे.
सुभाष चंद्र बोस कोलकाता से बरारी अपने भतीजे शिशिर चंद्र बोस के घर बेबी ऑस्ट्रियन कार(बीएलए/7169) से पहुंचे थे. जिसका चित्र बांग्ला पुस्तक महानिष्क्रमण में छपा है. वह अपने दो भतीजे और बहू के साथ सीधे गोमो स्टेशन पहुंचे थे. नेताजी 18 जनवरी 1941 को गोमो से महानिष्क्रमण के लिए पेशावर मेल (अब कालका मेल) पकड़े थे. जिसके बाद नेताजी कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आए.
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नेताजी की प्रतिमा तथा उसका परिसर रेलवे की लापरवाही के कारण उपेक्षा का शिकार है. परिसर में लगे पेड़ के सूखा पत्ते फर्श पर बिखरे रहते हैं. फर्श धूल धूसरित है. कई जगहों पर टाइल्स टूटी है. रेलवे की ओर से नेताजी की जयंती तथा वीआइपी दौरा के दौरान प्रतिमा तथा परिसर की सफाई जरूर करा दी जाती है. जयंती को लेकर प्रतिमा परिसर रौशनी से चकाचौंध रहता है. पावर हाउस की ओर से पांच-छह दिनों के बाद एक-दो लाइट को छोड़कर अन्य सभी लाइट खोलकर हटा दिया जाता है.
धनबाद के समाजसेवी निभा दत्ता ने गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी. गृह मंत्रालय के आदेश पर गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाषचंद्र बोस जंक्शन गोमोह रखा गया. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 23 जनवरी 2009 में गोमो स्टेशन के बदले हुए नाम का अनावरण किया था.
रिपोर्ट: वेंकटेश शर्मा