यूरिया पर सब्सिडी जारी
यूरिया एक रासायनिक उर्वरक है, जिसका उत्पादन प्राकृतिक गैस पर निर्भर होता है. रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारणों से गैस की सप्लाई पर असर पड़ा जिससे इसका उत्पादन प्रभावित हुआ और कीमत बढ़ने लगी.
कृषि उत्पादकता बढ़ाने में उर्वरकों की बड़ी भूमिका होती है. इनके इस्तेमाल से उपज बेहतर होती है और किसानों को तो लाभ होता ही है, महंगाई भी नियंत्रित रहती है, और पूरे देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है. इसे ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने यूरिया पर सब्सिडी को और तीन वर्षों तक जारी रखने का फैसला किया है. खेती में वैसे तो कई तरह के उर्वरकों का इस्तेमाल होता है, मगर दुनियाभर में यूरिया का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है. इसमें नाइट्रोजन होता है जो फसल की वृद्धि और विकास के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है. लेकिन, पिछले कुछ अर्से से सारी दुनिया में उर्वरकों की कीमत बढ़ी है. दरअसल, यूरिया एक रासायनिक उर्वरक है जिसका उत्पादन प्राकृतिक गैस पर निर्भर होता है. रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारणों से गैस की सप्लाई पर असर पड़ा जिससे इसका उत्पादन प्रभावित हुआ, और कीमत बढ़ने लगी. भारत जैसे कृषि प्रधान देश में इसका गंभीर असर पड़ सकता था, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक आयातक देश है.
मगर, सरकार ने उर्वरकों पर सब्सिडी जारी रखने के साथ किसानों को यह भी भरोसा दिया कि उर्वरक की कमी नहीं होगी. उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने अब एक बार फिर किसानों को भरोसा दिया है कि उन्हें यूरिया के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं करना होगा. किसानों को यूरिया का 45 किलोग्राम का बैग 242 रुपये की कीमत पर मिलता रहेगा. सरकार ने यह भी बताया है कि देश में नैनो यूरिया का इस्तेमाल बढ़ रहा है. वर्ष 2025-26 तक देश में नौ नैनो यूरिया संयंत्र लगाए जाने की योजना है जिनसे 44 करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन हो सकता है. नैनो यूरिया तरल यूरिया है, जिसका पहला संयंत्र पिछले वर्ष गुजरात के कलोल में लगाया गया था.
यह देश में ही बना यूरिया है, जिसे भारत के जाने-माने कृषि सहकारिता संगठन इफ्को ने विकसित किया है. नैनो यूरिया किफायती और ज्यादा असरदार बताया जाता है क्योंकि इसे सीधे पत्तों पर छिड़का जा सकता है. इसकी आधे लीटर की एक बोतल यूरिया के 50 किलोग्राम के बैग के बराबर प्रभावी होती है. भारत दशकों से यूरिया जरूरत को पूरा करने के लिए विदेशों से उसका आयात कर रहा है. अपने ही देश में यूरिया का उत्पादन करने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत जैसे बड़े उपभोक्ता की मांग घटेगी, और यूरिया की कीमत नीचे आएगी. ऐसे में, किसानों को किफायती कीमत पर उर्वरकों की आपूर्ति निर्बाध रखने के साथ, देश में उर्वरक उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.