झारखंड का ऐसा स्कूल जहां एक चापाकल व शौचालय के भरोसे 800 विद्यार्थी, घर से पानी लाने को मजबूर बच्चे
पश्चिमी सिहंभूम के चक्रधरपुर में राजा नरपति सिंह बालिका उच्च विद्यालय, रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय व टाउन हॉल मध्य विद्यालय का हाल-बेहाल है. चहारदीवारी नहीं रहने से असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है. विद्यार्थी और शिक्षकों को पानी और टॉयलेट के लिए परेशानी होती है.
Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर में तीन ऐसे स्कूल हैं जहां के 800 विद्यार्थी एक चापाकल और शाैचालय के भरोसे है. इतना ही नहीं, स्कूल में पानी नहीं रहने से बच्चों को पानी घर से ही लाना पड़ता है. ये स्कूल है चक्रधरपुर स्थित राजा नरपति सिंह बालिका उच्च विद्यालय, रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय व टाउन हॉल मध्य विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था का हाल खस्ता है. तीनों विद्यालय एक ही भवन में संचालित है. तीनों विद्यालय में लगभग 800 विद्यार्थी नामांकित हैं. तीनों विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. विद्यार्थियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इससे विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.
स्कूल परिसर में साइकिल तक रखने की सुविधा नहीं
मालूम हो कि वर्ष 1958 में क्षेत्र के राजा व रानी के नाम से विद्यालय की स्थापना की गयी थी. वर्तमान में विद्यालय की स्थिति काफी खराब है. विद्यालय में शिक्षकों की काफी कमी है. रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय मात्र तीन शिक्षकों के भरोसे चल रहा है. वहीं, टाउन हॉल मध्य विद्यालय में मात्र दो शिक्षक हैं. विषयवार शिक्षकों की काफी कमी है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है. स्कूल परिसर में साइकिल तक रखने की सुविधा नहीं है. इतनी संख्या वाले इस विद्यालय में कमरों की काफी कमी है.
Also Read: झारखंड : पलामू टाइगर रिजर्व का लौटेगा पुराना गौरव, जंगली जानवरों की होगी भरमार, जानें कैसेचापाकल से निकलता है दूषित पानी
एक तरफ सरकार जहां विद्यालयों की स्थिति में सुधार लाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, दूसरी ओर राजा नरपति सिंह बालिका उच्च विद्यालय व रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय की दुर्दशा पर जिला प्रशासन की नजर नहीं है. स्कूल में पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है. एक चापाकल है, पर उसमें से दूषित पानी निकलता है. यहां के बच्चों और शिक्षकों को घर से पानी लेकर आना पड़ता है. इतना ही नहीं, विद्यालय के शौचालय की स्थिति काफी खराब है. छात्राओं और महिला शिक्षकों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है.
विद्यालय की चहारदीवारी ढही, विद्यार्थियों को हो रही परेशानी
राजा नरपति सिंह बालिका उच्च विद्यालय व रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय की चहारदीवारी बरसात में ढह गयी है. इस कारण स्कूल पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है. स्कूल में छुट्टी होने के बाद असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है. रात में असामाजिक तत्व स्कूल में शराब का सेवन करते हैं. शराब की बोतलें बरामदे में फेंक देते हैं. बच्चों को प्रत्येक दिन शराब की बोतलों को फेंकना पड़ता है. इतना ही नहीं असामाजिक तत्वों द्वारा स्कूल की दीवारों पर अश्लील शब्द लिख देते हैं, इसे विद्यार्थियों को मिटाना पड़ता है.
Also Read: झारखंड : हजारीबाग में ऑफर लेटर मिलते ही युवाओं के चेहरे खिले, कहा- अब घर की सुधरेगी स्थितिमैदान में जमा रहता है पानी
राजा नरपति सिंह बालिका उवि व रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय के मैदान से पानी निकासी के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है. बरसात में बच्चों को पानी में घुसकर जाना पड़ता है. स्कूल प्रबंधन द्वारा बार-बार उच्चाधिकारियों को परेशानी की जानकारी दी जा रही है, पर कोई पहल नहीं की जा रही है. स्थिति सुधरने की बजाय दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. मैदान में पानी रहने के कारण बच्चे खेलकूद से वंचित रह जाते हैं.
झाड़ियों से घिरा है विद्यालय
राजा नरपति सिंह बालिका उच्च विद्यालय व रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय झाड़ियों से घिर गया है. विद्यालय के चारों ओर जल जमाव और गंदगी रहती है. बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गयी हैं. विद्यार्थियों में हमेशा जहरीला कीड़े-मकोड़ों का डर बना रहता है. आये दिन स्कूल कैंपस में सांप घुस जाता है. स्कूल का कैंपस काफी बड़ा है. देखरेख के अभाव में स्कूल की स्थिति बिगड़ती जा रही है.
Also Read: PHOTOS : हजारीबाग में 11850 युवाओं को मिला ऑफर लेटर, खिल उठे चेहरेअसामाजिक तत्वों से काफी परेशानी : प्राचार्य
इस संबंध में रानी रसाल मंजरी मध्य विद्यालय की प्राचार्य थेलमा बागे ने कहा कि असामाजिक तत्वों से काफी परेशानी हो रही है. स्कूल कैंपस से शराब की बोतलें फेंकनी पड़ती है. चहारदीवारी क्षतिग्रस्त होने से शाम में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है. इसे लेकर वरीय पदाधिकारियों को जानकारी दी गयी है. विषय वार शिक्षकों की कमी के कारण पठन पाठन में परेशानी आ रही है. स्कूल परिसर में चापाकल होने के बावजूद पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं है. शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है.