Photos : मेहनतकश लोगों को संगठित कर पूंजिवाद को हटाना ही मूल उद्देश्य : एसयूसीआई (सी)
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति को देखते हुए पार्टी के संस्थापक शिवदास घोष के जन्म शतवर्ष के मौके पर राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का कार्यक्रम करने का फैसला लिया गया. ताकि देश के मेहनतकश व शोषित आवाम को नई दिशा दिया जा सके.
कोलकाता, नवीन राय : देश से भाजपा को हटाने के लिए विपक्ष की ओर से इंडिया नामक गठबंधन बनाया गया है. इस गठबंधन में वामपंथी भी है तो तृणमूल कांग्रेस भी है. इससे इसके उद्देश्य का अंदाजा लगाया जा सकता है. यही वजह है कि एसयूसीआई(सी) अकेले लड़ने की नीति पर अडिग है. यह बात एसयूसीआई(सी) के महासचिव प्रभाष घोष ने कहा. उन्होने कहा कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति को देखते हुए पार्टी के संस्थापक शिवदास घोष के जन्म शतवर्ष के मौके पर राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का कार्यक्रम करने का फैसला लिया गया. ताकि देश के मेहनतकश व शोषित आवाम को नई दिशा दिया जा सके.
क्योंकि स्वाधीनता आंदोलन के समय से जिस तरह से टाटा-बिड़ला की मदद से पूंजिवादी मानसिकता थी तो दूसरी ओर क्रांतिकारी विचारधारा थी. लेकिन पूंजिवाद के मुनाफा व लोभ की राजनीति के आगे बुजुर्आ वर्ग ने नेतृत्व पर कब्जा कर लिया था. दूसरी तरफ चीन व रुस जैसे कम्यूनिष्ट देशों के नेतृत्व में मतपरिवर्तन से यह लोग भी पूंजिवाद की तरफ कदम बढ़ाने लगे.
देश का विभाजन करके रुस युद्ध में उलझा हुआ है तो कम्यूनिज्म का रास्ता छोड़कर चीन साम्राज्यवादी विचारधारधारा के साथ अन्य देशों की संप्रभुता पर हमला कर रहा है. इसके खिलाफ पूरे विश्व के मेहनतकश लोगों को पूंजिवाद व संप्रदायवाद- धर्मीय उन्माद से दूर माक्स$वाद को वास्तविकता के धारातल पर लाना होगा.
एसयूसीआई के इस राष्ट्रीय सभा में जहां देश के सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, वही पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत किया. कार्यक्रम के शुरूआत में विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक मंड़ली ने अपनी अपनी भाषा में क्रांतिकारी गीतों का मंचन करके ब्रिगेड को मिनी हिंदुस्तान का रुप दे दिया था. इसके बाद एसयूसीआई( सी) के किशोर संगठन कामशोमाल के सदस्यों ने पार्टी नेतृत्व को गार्ड आफ आनर देकर सम्मानित किया.
इसके बाद सभी राज्य कमेटी के सचिव एक के बाद एक मंच पर आये और अपने अपने प्रदेश की भाषा में लोगों को संबोधित कर लोगों को संदेश दिया कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर को ध्यान में रखते हुए शिवदास घोष के आदर्शों को हथियार बनाकर अकेले अपने दम पर मेहनतकश लोगों को संगठित करते हुए जनआंदोलन को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा.