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सुधीर बाला मिश्र स्मृति सम्मान: उड़िया भाषा व संस्कृति के संरक्षण के लिए सरोज कुमार प्रधान हुए सम्मानित

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंदगांव में आयोजित कार्यक्रम में उड़िया समाज के सरोज कुमार प्रधान को सुधीर बाला मिश्र स्मृति सम्मान 2022 दिया गया. उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति के संरक्षण को लेकर इन्हें सम्मानित किया गया. केरा मंदिर में पंडित दुर्गाचरण साहित्य संस्था का वार्षिकोत्सव था.

By Guru Swarup Mishra | November 28, 2022 3:46 PM

Jharkhand News: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंदगांव के केरा मंदिर परिसर में सोमवार को पंडित दुर्गाचरण साहित्य संस्था के वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि झारखंड के पूर्व मंत्री दिनेश षाड़ंगी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति गंगाधर पंडा उपस्थित थे. इस मौके पर उड़िया समाज के सरोज कुमार प्रधान को सुधीर बाला मिश्र स्मृति सम्मान 2022 दिया गया. उड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति के संरक्षण को लेकर इन्हें सम्मानित किया गया.

उड़िया भाषा के संरक्षण के लिए सम्मान

वार्षिकोत्सव के मौके पर उड़िया भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की रक्षा को लेकर ओडिशा से आये हुए उड़िया कवि एवं अन्य लोगों ने संबोधित किया. कार्यक्रम में ओड़िया संगठनों से जुड़े हुए कई उड़िया साहित्यकारों एवं संस्कृति की रक्षा करने वाले को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री दिनेश षाड़ंगी ने कहा कि सरोज कुमार प्रधान पिछले 30 वर्षों से हमारे क्षेत्र में उड़िया भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण में लगे हैं. इस कारण उन्हें सुधीर बाला स्मृति सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया है. सुधीर बाला मिश्र के सुपुत्र डॉ गिरजा शंकर मिश्र ने श्री प्रधान को ट्रॉफी एवं शॉल देकर सम्मानित किया.

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प्रेरणास्रोत हैं सुधीर बाला मिश्र की कविताएं

कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो गंगाधर पंडा ने भी लोगों को संबोधित किया. अतिथियों ने कहा कि स्वर्गीय सुधीर बाला मिश्र की कमी सदा ही उड़िया समाज को खलेगी. आज उनकी रचनाएं हमें पढ़ने को मिल रही हैं. उनकी कविताएं काफी अच्छी हैं. इससे समाज के लोगों को प्रेरणा मिलेगी. आपको बता दें कि सुधीर बाला मिश्र कराईकेला की निवासी थीं. पुरोहित विश्वनाथ मिश्र की धर्मपत्नी थीं और उन्होंने अंतिम समय तक उड़िया भाषा में अनेक कविताएं, भजन की रचना कीं. ये आज उड़िया भाषी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं. इस मौके पर काफी संख्या में उड़िया समाज के लोग उपस्थित थे.

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रिपोर्ट : अनिल तिवारी, बंदगांव, पश्चिमी सिंहभूम

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