Varanasi News: BHU को दुनिया के शीर्ष विवि की सूची में आगे लाना चाहते हैं नए कुलपति, कही ये बात

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के नए वाइस चांसलर प्रो. सुधीर कुमार जैन ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया है. इसके साथ ही उन्होंने बीएचयू के विकास के लिए सोचना शुरू कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2021 1:38 PM

Varanasi News: वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) को नए वाइस चांसलर (VC) मिल चुके हैं. नव नियुक्त वाइस चांसलर प्रो. सुधीर कुमार जैन ने अपना पदभार ग्रहण करते ही, बीएचयू के विकास के लिए सोचना शुरू कर दिया है. इसका जिक्र उन्होंने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में किया है.

नव नियुक्त प्रोफेसर ने कही ये बात

नव नियुक्त प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन का कहना है कि, वह बीएचयू को दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में सबसे आगे लाना चाहते हैं. विश्वविद्यालय के विभागों में लंबित कार्यो को जल्द से जल्द पूरा करके, वहां की समस्याओं का निराकरण करेंगे, ताकि अध्ययन के क्षेत्र में कोई बाधा न आए.

पूर्व छात्रों से भी करेंगे बातचीत

उनका कहना है कि BHU के पूर्व छात्रों से भी बातचीत कर उनकी मदद ली जाएगी, ताकि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन और रिसर्च को लेकर और बेहतर कार्य किया जा सकें. एनआईआरएफ (NIRF) 2021 रैंकिंग में BHU को तीसरे स्थान एमिनेंट इंस्टीट्यूट के रूप में मान्यता मिली है. एक महान विरासत वाले विश्वविद्यालय की कमान मिलना अपने-आप में बहुत गर्व करने वाला पल है.

Also Read: कोरोना वैक्सीन लगवाने पर महिलाओं में रिएक्शन की आशंका सबसे ज्यादा, BHU के रिसर्च में हुआ खुलासा
कुलपति बनकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं-जैन

सुधीर कुमार जैन ने कहा कि महामना द्वारा स्थापित BHU जैसे विहंगम विश्वविद्यालय में कुलपति बनकर बहुत सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि, 100 साल से भी अधिक पुराने इस ऐतिहासिक संस्थान के निरंतर विकास में योगदान देने के लिए तैयार हूं. यहां के पूर्व छात्रों ने कला, साहित्य, प्रशासन, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, कानून, इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे विविध क्षेत्रों में अपने आप को बुलंदियों पर पहुंचाया है.

Also Read: Varanasi News: पूर्व छात्र ने आईआईटी BHU को दिया 15 करोड़ का दान, आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मिलेगा लाभ
सबसे बड़े आवासीय विवि में से एक है बीएचयू

जैन ने कहा कि यह भारत के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है. वहीं, एकेडमिक तौर पर इसका स्वरूप सबसे अलग और विहंगम है. प्रो. जैन ने IIT-गांधीनगर को दिए 12 साल के कार्यकाल का भी जिक्र किया. साथ ही कहा कि यहां पर काम करने का जो अवसर मिला उसका जीवन भर आभारी रहूंगा.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

Next Article

Exit mobile version