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ममता बनर्जी के विजया सम्मेलन में सुकांत मजूमदार व दिलीप घोष आमंत्रित, सूची में शुभेंदु अधिकारी का नाम नहीं

दिसंबर 2020 में शुभेंदु के तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से तृणमूल नेतृत्व के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए हैं. पहले नंदीग्राम में मुख्यमंत्री के साथ उनकी चुनावी प्रतिद्वंद्विता और फिर पिछले ढाई साल में विधानसभा में तृणमूल-भाजपा संसदीय दल की लड़ाई ने रिश्ते में और खटास ला दी है.

By Shinki Singh | November 4, 2023 5:54 PM

अलीपुर जेल संग्रहालय में गुरुवार 9 नवंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) द्वारा आयोजित विजया सम्मेलन में विपक्षी खेमे के कई नेताओं को भी आमंत्रित किया जा रहा है. नबन्ना सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार की सूची में इस साल के विजया सम्मेलन में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और बालुरघाट से सांसद सुकांत मजूमदार और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मेदिनीपुर से सांसद दिलीप घोष को आमंत्रित किया जा रहा है. हालांकि शनिवार तक की सूची में विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम नहीं है.


मुख्य विपक्षी दल के नेता को किया जाता है आमंत्रित

हालांकि राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक, हर बार मुख्य विपक्षी दल के नेता को आमंत्रित किया जाता है. मुख्यमंत्री हमेशा शिष्टाचारवश ऐसा करती है. इस बार भी वर्तमान अध्यक्ष के रूप में सुकांत, पूर्व अध्यक्ष के रूप में दिलीप घोष और वाम मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में बिमान बोस को आमंत्रित किया जा रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि किसी कांग्रेस नेता को आमंत्रित किया जाएगा या नहीं. यह पूछे जाने पर कि विपक्ष के नेता को आमंत्रित क्यों नहीं किया गया. एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह कोई ‘परिषद कार्यक्रम’ नहीं था. विपक्ष के नेता को आमंत्रित करने का कोई अवसर नहीं है.

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तृणमूल-भाजपा संसदीय दल की लड़ाई ने रिश्ते में और खटास ला दी

हर बार मुख्यमंत्री के विजया सम्मिलनी में उद्योगपतियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध लोग शामिल होते हैं. लेकिन ज्यादा जोर उद्योगपतियों को बुलाने पर है क्योंकि उस आयोजन के तुरंत बाद होने वाला विश्व बंगाल व्यापार सम्मेलन काफी खास है. पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम को औपचारिक निमंत्रण देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. निगम के प्रतिनिधि निमंत्रण देने का काम शुरू कर देंगे. हालांकि आमंत्रित लोगों की सूची में शुभेंदु की अनुपस्थिति से राजनीतिक कार्यकर्ता आश्चर्यचकित नहीं हैं. दिसंबर 2020 में शुभेंदु के तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से तृणमूल नेतृत्व के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए हैं. पहले नंदीग्राम में मुख्यमंत्री के साथ उनकी चुनावी प्रतिद्वंद्विता और फिर पिछले ढाई साल में विधानसभा में तृणमूल-भाजपा संसदीय दल की लड़ाई ने रिश्ते में और खटास ला दी है.

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