22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Durga puja 2023 : दिन में पुलिस की ड्यूटी, रात में देवी दुर्गा की प्रतिमा गढ़ते हैं सुकुमार

प्रतिमा बनाने के प्रति मेरा जुनून देखकर आसपास के लोग किसी भी पूजा-पाठ में मुझसे ही प्रतिमा बनवाने लगे. मुझे अब मेहनताना मिलने लगा था. मेरे परिवार की हालत उतनी अच्छी नहीं थी. इस कारण मैंने इस मेहनताने से आगे की पढ़ाई शुरू की. इसी बीच, मुझे अपने कैरियर की चिंता भी सताने लगी.

कोलकाता, विकास कुमार गुप्ता : कहावत है कि, जिस व्यक्ति के दिल में अपना सपना पूरा करने की आग लगी होती है, उसे हर सुबह अलार्म घड़ी नहीं, बल्कि दिल में धड़क रही जुनून की आग ही उठा देती है. यह बात कोलकाता ट्रैफिक पुलिस (Kolkata Traffic Police) के अंतर्गत जेम्स लॉन्ग सरणी ट्रैफिक गार्ड में ड्यूटी करनेवाले कांस्टेबल सुकुमार मंडल पर फिट बैठती है. पढ़ाई के साथ-साथ सुकुमार को देवी की प्रतिमा गढ़ने का काफी शौक था. 39 वर्षीय सुकुमार मंडल कहते हैं कि दिल में धधक रहे सपने को पूरा करने का जुनून जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब सच हुआ.


जब खुद की बनायी प्रतिमा से की देवी सरस्वती की आराधना

नरेंद्रपुर थानाक्षेत्र स्थित राजपुर-सोनारपुर के अंतर्गत रानियां उदयन पल्ली इलाके के निवासी सुकुमार मंडल कहते हैं कि रोजाना स्कूल में आवाजाही करने के दौरान रास्ते में मूर्तिकारों द्वारा एक से बढ़कर एक देवी-देवताओं की प्रतिमा देख कर उन्हें भी प्रतिमा बनाने की इच्छा हुई. थोड़ी समझ हुई, तो मिट्टी लेकर घर में ही फुर्सत के पल में देवी-देवताओं और गुड्डे-गुड़ियों की प्रतिमाएं बनाने लगा. मैंने मिट्टी से तैयार कुछ खिलौने उन मूर्तिकारों को भी दिखाये, जो देवी की प्रतिमाएं गढ़ते थे. उनमें से राजेश समाद्दार उर्फ नबाई दा नामक मूर्तिकार को मेरे बनाये खिलौने काफी पसंद आये. मेरे गुरु बनकर उन्होंने मुझे काफी कुछ सिखाया. जब मैं सातवीं कक्षा में था, उस समय मैंने पहली बार देवी सरस्वती की प्रतिमा बनायी. जब इलाके के लोगों ने उस प्रतिमा की पूजा की, तो मन को बड़ा सुकून मिला.

Also Read: West Bengal Breaking News Live : राज्यपाल से राजभवन में मुलाकात करने पहुंचे अभिषेक बनर्जी
प्रतिमा बनाने से मिले पैसे से उठाने लगा पढ़ाई का खर्च

सुकुमार कहते हैं जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था, उस समय मैंने पहली बार पंच दुर्गा की प्रतिमा बनायी, फिर देवी काली की प्रतिमा बनाकर उसे सजाकर सबको हैरान कर दिया. प्रतिमा बनाने के प्रति मेरा जुनून देखकर आसपास के लोग किसी भी पूजा-पाठ में मुझसे ही प्रतिमा बनवाने लगे. मुझे अब मेहनताना मिलने लगा था. मेरे परिवार की हालत उतनी अच्छी नहीं थी. इस कारण मैंने इस मेहनताने से आगे की पढ़ाई शुरू की. इसी बीच, मुझे अपने कैरियर की चिंता भी सताने लगी.

Also Read: Raj Bhavan campaign : राज्यपाल से मुलाकात होने तक राजभवन के सामने टीएमसी का प्रदर्शन जारी : अभिषेक बनर्जी
मूर्तिकारों को देवी की प्रतिमा बनाते देख मन में जागी थी प्रतिमा गढ़ने की इच्छा

इसके बाद मैंने प्रतिमा बनाने के साथ विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी. वर्ष 2009 में मुझे कोलकाता पुलिस में नौकरी मिल गयी. ट्रेनिंग पूरी कर मैंने वर्ष 2011 में पुलिस की नौकरी ज्वाइन की. इस बीच, मुझे 10 से 12 दुर्गा की प्रतिमाएं बनाने का ऑर्डर हर वर्ष मिलने लगा.सुकुमार मंडल का कहना है कि मैं रोजाना जेम्स लॉन्ग सरणी ट्रैफिक गार्ड में जाकर ट्रैफिक की ड्यूटी संभालता हूं. छुट्टी होने पर घर लौटने के बाद रात को प्रतिमा गढ़ने में जुट जाता हूं. पुलिस डिपार्टमेंट में मेरे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से लेकर सहकर्मियों तक, मुझे काफी सपोर्ट मिलता है. इस बात की खुशी है कि बचपन में एक मूर्तिकार बनने का मेरा सपना पूरा हो गया. मूर्ति बनाने से मिलने वाली राशि का एक हिस्सा समाजसेवा से लेकर परोपकार में लगा देता हूं.

Also Read: ममता ने बार्सिलोना में किया दावा : देश का अगला औद्योगिक गंतव्य होगा बंगाल, पूरे विश्व के लिए बनेगा गेमचेंजर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें