राज्य सरकार ने भीषण गर्मी के मद्देनजर पहाड़ी इलाकों को छोड़कर सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश तीन हफ्ते पहले दो मई से घोषित करने का आधिकारिक नोटिस जारी कर दिया है. स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश मूल रूप से 24-25 मई के आसपास शुरू होने वाला था. स्कूल शिक्षा विभाग ने नोटिस में प्राथमिक और माध्यमिक बोर्ड दोनों को अगले निर्देश तक अपने नियंत्रण वाले स्कूलों में गर्मी की छुट्टी दो मई से घोषित करने के लिए कहा है. दार्जिलिंग और कालिम्पोंग जिलों के स्कूलों को इस आदेश से छूट दी गयी है. आदेश में कहा गया है कि इन पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूदा शैक्षणिक कैलेंडर का पालन किया जायेगा.
सिर्फ एक सप्ताह की छुट्टी घोषित करे सरकार
राज्य के स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां 24 मई से होने वाली थी. लेकिन शिक्षा विभाग ने दो मई से छुट्टी की घोषणा की है. 22 दिन पहले ही स्कूल बंद करने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी. सरकार व शिक्षा विभाग को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. यह मांग की है एडवांस्ड सोसायटी फॉर हेडमास्टर एंड हेडमिस्ट्रेस ने. सोसायटी के महासचिव डॉ चंदन माइती ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अलीपुर मौसम विभाग ने मई में मौसम को लेकर कोई ऐसी सूचना नहीं दी है कि पहले ही छुट्टी घोषित की जाये.
ऐसा क्यों हर साल गर्मी के नाम पर हमारे राज्य में दिन-ब-दिन छुट्टी जारी रहेगी ? यह छुट्टी कौन चाहता था ? छात्र ? माता-पिता या शिक्षक, शिक्षाकर्मी? पूरे शैक्षणिक वर्ष की वार्षिक योजना बाधित की जा रही है. उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड या उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद को नजरअंदाज कर कोई अहम फैसला नहीं लिया जा सकता है. उनके काम में हस्तक्षेप भी ठीक नहीं है. राज्य में एक के बाद एक भर्ती भ्रष्टाचार के खुलासे हो रहे हैं. शिक्षा की हालत वैसे ही खराब है. दूसरी ओर स्कूल बढ़ रहे हैं.
ग्रामीण स्कूलों और मदरसों में शिक्षकों, शिक्षण कर्मचारियों की कमी है. स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है. दक्षिण 24 परगना के कुछ इलाकों में नाबालिग शादियों की संख्या बढ़ रही है. छात्र पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. माध्यमिक परीक्षार्थियों की संख्या घट रही है. ऐसे समय में ऐसी छुट्टी शिक्षा के लिए खतरा होगी. ऐसे में हमारा अनुरोध है कि शिक्षा विभाग, परिषद या संसद के काम में दखल न देते हुए शिक्षा से संबंधित सभी जिम्मेदारियों को स्वायत्त परिषद या काउंसिल पर छोड़ दे, ताकि स्कूलों और मदरसों में ठीक से पढ़ाई हो सके.
संगठन की ओर से यह सुझाव दिया गया है कि वर्तमान में ओड़िशा की तरह केवल एक सप्ताह का अवकाश प्रदान किया जाना चाहिए. बाद में स्थिति पर नजर रखने के बाद इसको बढ़ाया जाना चाहिए. उत्तर बंगाल के जिलों में इस समय अवकाश की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए उन जिलों को इस अवकाश के दायरे से बाहर रखा जाये.
बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति ने एक विज्ञप्ति जारी कर राज्य की मुख्यमंत्री द्वारा स्कूलों में 2 मई से गर्मी की छुट्टी किये जाने के फैसले का प्रतिवाद जताया है. समिति के महासचिव आनंद हांडा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में ग्रीष्मावकाश आगे बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं थी. पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी ग्रीष्मावकाश देने के मामले में मौसम विभाग, बाल रोग विशेषज्ञ व शिक्षक संगठनों से बिना राय लिए एकतरफा घोषणा की गयी है. इसके अलावा, उत्तर बंगाल में दिन के समय धूप खिली रहती है लेकिन रात में बहुत ठंडी होती है. जून में वहां गर्मी होगी. पिछले साल देखने में आया था कि उत्तर बंगाल के शिक्षकों ने ठंड बढ़ने के बाद गर्मी की छुट्टी घोषित कर दी थी.