उसके बाद तय हो गया कि पापा मुझे फिल्मों में लॉन्च नहीं करेंगे, जानें ऐसा क्यों कहा सनी देओल के बेटे राजवीर ने
सनी देओल के छोटे बेटे राजवीर देओल फिल्म ‘दोनों' से बॉलीवुड में कदम रख रहे है. ये फिल्म उन्हें कैसे मिली, इसपर एक्टर ने बताया कि, मुझे ये बात मालूम पड़ी कि सूरज सर के बेटे अवनीश फिल्म को डायरेक्ट करने जा रहे हैं. आपको शायद मेरी बात का यकीन ना हो, पर मैं कास्टिंग डायरेक्टर के जरिये उनसे मिला.
देओल परिवार की तीसरी पीढ़ी यानी सनी देओल के छोटे बेटे राजवीर देओल जल्द ही राजश्री बैनर की फिल्म ‘दोनों से’ हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत करने जा रहे हैं. उन्हें अपने परिवार की अभिनय की महान विरासत पर गर्व है और उम्मीद है कि वे अपने परिवार के प्रशंसकों को निराश नहीं करेंगे. अगर वे निराश होंगे, तो वह और मेहनत कर उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना चाहेंगे. फिल्म को लेकर राजवीर के साथ उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
आप पिताजी के फिल्मों के सेट पर कभी गये हैं?
मैं अपने पिताजी की फिल्म ‘चैंपियन’ के सेट पर गया हूं. उसमें मनीषा कोइराला जी उनके साथ थीं. इस फिल्म की शूटिंग हैदराबाद के रामोजी राव फिल्म सिटी में हुई थी. मैं शूटिंग देखते हुए काफी बोर हो गया था. मैं उस वक्त साढ़े पांच का रहा होऊंगा. लगातार रिटेक हो रहे थे. एक ही सीन बार-बार हो रहा था. ऐसा कुछ भी उत्साहित कर देने वाला नहीं था कि मैं बार-बार वहां जाऊं. उसके बाद तो मैं फिल्मों के सेट पर जाने से कतराता था.
आपके दादाजी हिंदी सिनेमा के लिए लीजेंड हैं. पिता सुपरस्टार हैं. उनकी पॉपुलैरिटी का आपको कब अहसास हुआ. कोई नेगेटिविटी?
शुरुआत में तो मुझे लगता था कि ये नार्मल है. सभी के ऐसे फैंस होते हैं. हम जब भी बाहर जाते थे, हमारे परिवार को लोगों का बहुत ज्यादा अटेंशन मिलता था. कभी-कभी कंफ्यूज भी होता था कि मेरे डैड को इतना अटेंशन क्यों मिल रहा है. सभी क्यों इनके पीछे हैं. कई बार बहुत अच्छे से लोग मिलते थे. कई बार बुरे अनुभव भी हुए हैं. कोई अगर नहीं मिल पा रहा है, तो गलत बात भी बोलने लगता था. सच कहूं तो इन चीजों ने बहुत बुरी तरह से मुझे प्रभावित किया. मैं बहुत ज्यादा शांत हो गया. खुद में ज्यादा रहने लगा था.
परिवार में एक्टिंग था, इसलिए एक्टर बनने का फैसला करना आसान था?
सच कहूं, तो बचपन से एक्टर बनने वाला मामला नहीं था. पापा की फिल्म ‘बॉर्डर’ देखने के बाद मैं आर्मी में जाना चाहता था. मैं बास्केट बॉल में अच्छा हूं, तो एक वक्त मैं बास्केट बॉल प्लेयर बनना चाहता था. मैं वीडियो गेम खेलना भी पसंद करता हूं, तो लगा कि मैं गेमर बन जाता हूं. फिर एक्टिंग ने आकर्षित किया. एक्टिंग एक ऐसी विधा है, जिससे मैं सभी किरदारों को कर सकता हूं.
राजश्री की फिल्म ‘दोनों’ किस तरह से आप तक पहुंची?
मुझे ये बात मालूम पड़ी कि सूरज सर के बेटे अवनीश फिल्म को डायरेक्ट करने जा रहे हैं. उन्होंने फिल्म की कहानी भी लिखी है. आपको शायद मेरी बात का यकीन ना हो, पर मैं कास्टिंग डायरेक्टर के जरिये उनसे मिला. बहुत कम लोगों को मेरे बारे में पता है. सभी को लगता है कि सनी सर के बस एक बेटे हैं. अब सबको मालूम पड़ रहा है कि उनके दो बेटे हैं. ‘दोनों’ फिल्म के लिए मैं तीन ऑडिशन्स से गुजरा हूं. अवनीश अपनी इस फिल्म को लेकर बहुत ज्यादा सीरियस हैं. वो पूरी तरह से आश्वासत होने के बाद ही फैसला करते थे. ऑडिशन देने के दो हफ्तों के बाद मालूम पड़ा कि मैं फिल्म के लिए चुन लिया गया हूं.
आपके किरदार का क्या नाम है. क्या इससे आप जुड़ाव भी महसूस करते हैं?
मेरे किरदार का नाम देव श्रॉफ है. मेरी आदत है कि जब भी मैं कोई स्क्रिप्ट पढ़ता हूं, तो मैं उसमें खुद को ढूंढने लगता हूं. मैं फिल्म देखते हुए भी किरदार से जुड़ाव महसूस करता हूं. ‘दोनों’ के किरदार और मुझमें सबकुछ तो नहीं, पर बहुत कुछ मेल खाता है. इसलिए किरदार करने में आसानी रही.
पूनम ढिल्लों की बेटी पलोमा आपके साथ लॉन्च हो रही हैं. उनका क्या रिएक्शन था?
वो बहुत ही अच्छी को-स्टार हैं. उनमें बिल्कुल भी घमंड नहीं है. मैंने एक्टिंग का वर्कशॉप भी किया है. आमतौर पर कई बार वह इतनी ज्यादा असुरक्षित महसूस करने लगती हैं कि वह जरूरत से ज्यादा सीन करने लगती हैं. पलोमा काफी सपोर्टिव हैं, तो उनके साथ बहुत अच्छा अनुभव रहा.
क्या शूटिंग के पहले दिन नर्वस थे और आपका परिवार शूटिंग में आया था?
डैड, मां, भाई, चाचा-चाची, उनके दोनों बच्चे, दादा को छोड़कर पूरा परिवार आया था. मुंबई के कोलाबा में पहले दिन की शूटिंग थी. उस दिन बहुत बारिश हो रही थी. हमें जुहू से कोलाबा पहुंचना था. सुबह चार बजे हमने पूजा की, फिर शूट पर साढ़े पांच बजे पहुंचे. पूरा परिवार साथ में था, इसलिए बहुत नर्वस था. मन में चल रहा था कि बारिश की वजह से ही सही शूट कैंसिल हो जाये, मगर शूट शुरू हुआ. पहला सीन मेरा चलकर आने वाला था, लेकिन मैं नर्वस था. इसलिए बहुत तेजी से चल गया था, ताकि जल्द से जल्द शूट हो जाये. किसी तरह शॉट ओके हुआ और मेरी जान में जान आयी.
आपके पिता ने स्क्रिप्ट पढ़ी थी. उनका क्या रिएक्शन था?
मेरे डैड बहुत कम बोलते हैं. उन्होंने बस गुड.. कहा. उनकी आदत है. वे ज्यादा बोलते नहीं हैं, जिससे मैं ज्यादा प्रेशर ना लूं.
आपके पिता ने आपके भाई को लॉन्च किया. क्या आपके पिता के निर्देशन में आपकी लॉन्चिंग की प्लानिंग नहीं हुई या विजेता फिल्म्स से जिससे हर देओल लॉन्च होता आ रहा है?
शुरुआत में यही होने वाला था, पर मेरे भाई की फिल्म असफल हुई, तो हम सभी बहुत परेशान हो गये थे. डैड को प्रोडक्शन व डायरेक्शन दोनों से बहुत निराशा हुई. उन्होंने साफ कह दिया कि मैं तुम्हें लॉन्च नहीं करूंगा. अच्छा होगा अगर किसी और को मैं तुम्हें दे दूं. उसके बाद तय हो गया कि विजेता फिल्म्स मुझे लॉन्च नहीं करेगा.
आपके भाई करण की फिल्में असफल रही हैं. क्या इससे आप पर प्रेशर बढ़ गया है?
हां, बहुत ज्यादा. ‘पल पल दिल के पास’का असिस्टेंट डायरेक्टर मैं भी था. तीन साल तक मैं उससे पूरी तरह से जुड़ा हुआ था. फिल्म असफल हुई, तो मेरा भी कॉन्फिडेंस पूरी तरह से हिल गया था.
आप देओल परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. पापा ने आपको क्या टिप्स दी है?
मेरे पिताजी का कहना है कि जिस पर आपका यकीन है, वो चीज करो, बाकी सब भूल जाओ. तुम्हें अच्छी पर्सनालिटी मिली है. तुम्हें अच्छी परवरिश मिली है. तुमसे लोगों को जुड़ने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. ऐसे में दूसरों को दिखाने के लिए बोल्ड बिंदास बनने की जरूरत नहीं है, जो आजकल हर कोई बनता है.
हर दिन एक नयी प्रतिभा इंडस्ट्री से जुड़ रही है. प्रतिस्पर्धा के लिए कितने तैयार हैं?
मैं प्रतिस्पर्धा से डरता नहीं हूं. मैं ये भी कहूंगा कि अगर मैं अच्छा नहीं हूं, तो इस फिल्म के बाद मैं खुद पर और काम करूंगा. मैं फिल्मों के अलावा ओटीटी के लिए भी ओपन भी हूं.
आपके दादा से जुड़ी क्या खास यादें हैं?
जब मैं बड़ा हो रहा था, तो मैंने उनके साथ बहुत वक्त बिताया. उनके साथ कार्ड खेलता था.वो मुझे अपनी शेरो-शायरी सुनाते थे. उनके साथ ये मेरी खास यादें हैं. दादाजी की हालिया रिलीज फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’भी देखी. वैसा सिर्फ वही कर सकते हैं. उन्होंने ‘दोनों’फिल्म देखी है. उन्हें मेरा काम पसंद आया. उन्होंने कहा कि तुमने अंडर प्ले अच्छा किया है.