सुंदरगढ़ जिले को दो दिग्गज राजनीतिज्ञ दिलीप राय और जॉर्ज तिर्की के राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता बरकरार है. एक तरफ जहां किसी भी समय चुनाव की घोषणा होने की संभावना जतायी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ दोनों दिग्गज अभी तक किसी भी राजनीतिक दल के साथ नहीं जुड़े हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय ने वर्ष 2019 के चुनाव से पहले भाजपा से इस्तीफा दिया था, जबकि बिरमित्रपुर के पूर्व विधायक व वरिष्ठ आदिवासी नेता जॉर्ज तिर्की ने 2022 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.
दिलीप और जॉर्ज के बीजद में शामिल होने की थी चर्चा
दोनों नेताओं के बारे में एक कॉमन बात कही जा रही थी कि संभवत: वे बीजद में शामिल होंगे. लेकिन अभी तक इस पर किसी भी तरह का निर्णय नहीं हो पाया है. अनिश्चितता बरकरार रहने से दोनों के समर्थकों में बेचैनी देखी जा रही है. 2019 के चुनाव में दिलीप राय बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं थे, लेकिन उनके समर्थकों ने बीजद के लिए काम किया था. वहीं जॉर्ज तिर्की कई बार संकेत दे चुके हैं कि उनके बीजद में जाने की संभावना है. लेकिन बीतते समय के साथ उनके बीजद में जाने की संभावना भी धूमिल होती नजर आ रही है.
समय-समय पर प्रभाव दिखाते रहे हैं दिलीप
दिलीप राय ने 2019 के चुनाव में सक्रियता नहीं दिखायी थी. लेकिन वर्ष 2022 व 2023 के दौरान वे राउरकेला की राजनीति पर प्रभाव छोड़ने वाले कई छोटे-मोटे चुनावों में खासे सक्रिय रहे. खासकर राउरकेला चेंबर ऑफ कॉमर्स के पिछली बार के चुनाव में उनके समर्थन से अध्यक्ष पद पर शुभ पटनायक ने बाजी मारी थी. इसके बाद राउरकेला अर्बन बैंक चुनाव में दिलीप राय द्वारा समर्थित दिलीप महापात्र के पैनल ने शानदार जीत हासिल की थी तथा 15 में से 13 निदेशक पद पर कब्जा जमाकर दिलीप महापात्र चेयरमैन बने थे.
केंद्रीय पूजा कमेटी में दिलीप समर्थक जीते
इसके बाद केंद्रीय पूजा कमेटी (सीपीसी) के चुनाव में भी दिलीप राय समर्थित उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. लेकिन बाद में दिलीप राय शहर की राजनीति में पहले की भांति सक्रिय नहीं दिखे. वैसे भाजपा छोड़ने के बाद उनके भी बीजद में शामिल होने की चर्चा तेज थी. लेकिन यह चर्चा अभी तक चर्चा तक ही सीमित है.
समर्थकों ने अंतिम निर्णय छोड़ा था जॉर्ज पर
जॉर्ज तिर्की ने जॉर्ज सेना को सक्रिय कर अपने समर्थकों का दिल टटोलने का काम जारी रखा है. हाल ही में जॉर्ज ने बिरमित्रपुर में जॉर्ज सेना की एक बैठक बुलायी थी. जिसमें समर्थकों की रायशुमारी करायी गयी थी कि राजनीति में उनका अगला कदम क्या होना चाहिए. इसके तहत यह पूछा गया था कि वे बीजद का दामन थामें या कांग्रेस में वापसी करें अथवा जॉर्ज सेना के बैनर तले चुनाव लड़ें.
पुराने सहयोगी जॉर्ज सेना के बैनर तले लड़ना चाहते थे चुनाव
इस पर अधिकांश समर्थकों ने उनके बीजद में जाने का समर्थन किया था. जबकि पुराने सहयोगियों ने जॉर्ज सेना के बैनर तले ही अगला चुनाव लड़ने की सलाह उन्हें दी थी. लेकिन अंतिम निर्णय जॉर्ज तिर्की पर ही छोड़ दिया गया था. लेकिन जॉर्ज तिर्की ने क्या अंतिम निर्णय लिया है, यह बात अब तक सामने नहीं आयी है. जिससे उनके समर्थक जहां असमंजस की स्थिति में हैं, वहीं जॉर्ज तिर्की का अगला कदम क्या होगा, इस पर भी अनिश्चितता बरकरार है.