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सुप्रीम कोर्ट से तृणमूल नेता माणिक भट्टाचार्य को लगा झटका, कोर्ट ने गिरफ्तारी को सही ठहराया

माणिक भट्टाचार्य ने अपनी याचिका में अदालत से इसीआइआर के आधार पर शुरू की गयी कार्रवाई के बाद गिरफ्तारी को अवैध घोषित कर उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध किया था. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन्हें किसी भी प्रकार का राहत देने से इनकार कर दिया.

तृणमूल कांग्रेस के विधायक व पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा पर्षद के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.

माणिक भट्टाचार्य की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

गुरुवार को न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस एवं न्यायाधीश विक्रमनाथ की बेंच ने माणिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ईडी द्वारा माणिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार करने में कोई गलती नहीं की गयी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने माणिक भट्टाचार्य को राहत देने से किया इनकार

बता दें कि माणिक भट्टाचार्य ने अपनी याचिका में अदालत से इसीआइआर के आधार पर शुरू की गयी कार्रवाई के बाद गिरफ्तारी को अवैध घोषित कर उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश देने का अनुरोध किया था. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन्हें किसी भी प्रकार का राहत देने से इनकार कर दिया.

जेल में बीतेगी माणिक भट्टाचार्य की दिवाली

इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि माणिक भट्टाचार्य को 25 अक्तूबर 2022 तक ईडी की हिरासत में ही रहना होगा. गौरतलब है कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में आरोपी माणिक भट्टाचार्य को ईडी ने आर्थिक गबन के आरोप में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के फैसले को चुनौती देते हुए माणिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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माणिक की उम्मीदों के विपरीत आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

माणिक भट्टाचार्य को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उनका पक्ष सुनने के बाद कोर्ट उनकी दलीलों से संतुष्ट होकर उन्हें ईडी की हिरासत से राहत दिलवा सकता है. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी उम्मीदों के विपरीत फैसला दिया. कोर्ट ने साफ कर दिया कि ईडी ने कोई गलती नहीं की है.

पश्चिम बंगाल में ईडी की कार्रवाई का खूब हुआ विरोध

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के नेता जोरदार विरोध करते हैं. केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसी के दुरुपयोग के भी खूब आरोप लगाये गये. हालांकि, हाल के दिनों में तृणमूल के शीर्ष नेताओं ने सीधे तौर पर इस मुद्दे पर केंद्र पर हमला बोलना बंद कर दिया है.

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