Photos: 3 साल से बंद है मुसाबनी की सुरदा खदान, सैकड़ों मजदूर बेरोजगार, संकट में परिवार
पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी स्थित सुरदा खदान पिछले तीन साल से बंद है. सुरदा माइंस, सुरदा फेज-टू और मुसाबनी प्लांट के करीब 560 मजदूर सुरदा माइंस के बंद होने से बेरोजगार हो गये हैं. इसके कारण परिवा की आर्थिक स्थिति डगमगा गयी है.
मुसाबनी (पूर्वी सिंहभूम), अशोक सतपति : पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी में ताम्र खदानों (copper mines) की बंदी से सैकड़ों मजदूरों के परिवार तबाह हो गये. एचसीएल की सुरदा खदान तीन साल से अधिक समय से बंद है. एक समय गुलजार रहने वाला क्षेत्र आज वीरानी की स्थिति में है. सुरदा माइंस, सुरदा फेज दो और मुसाबनी प्लांट के करीब 560 मजदूर सुरदा माइंस की बंदी से प्रभावित हैं. सुरदा माइंस के कुछ मजदूरों को आवश्यक सेवा के नाम पर महीने में कुछ दिन रोजगार मिल रहा है. बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हैं. करीब 250 मजदूर पिछले तीन साल से अधिक समय से रोजगार से वंचित हैं. सूरदा फेज टू के 110 मजदूर तीन वर्षों से अधिक समय से बेरोजगार हैं. मुसाबनी प्लांट अयस्क की कमी के कारण बंद है. करीब 200 मजदूर बेरोजगार हैं.
बेसहारा हो गये हैं मजदूरमुसाबनी में एक-एक कर खदानों में ताले लगते गये. वहीं, बेरोजगारी के कारण मजदूर और उनके परिवार बदहाली में आ गये. कई मजदूर बीमारी और समुचित इलाज के बिना असमय काल के गाल में समा गये. दूसरी ओर परिवार के भरण-पोषण व बच्चों की पढ़ाई के लिए कई मजदूर पलायन करने को विवश हो गये. आर्थिक तंगी के कारण कई बच्चों की पढ़ाई छूट गयी. ऐसे मजदूरों के परिवारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
– अप्रैल, 2020 से लीज विस्तारीकरण नहीं होने के कारण सुरदा माइंस बंद है. 1500 मजदूर बेरोजगार हो गये. राज्य सरकार ने दिसंबर, 2021 में लीज विस्तारीकरण किया
– सुरदा माइंस फिर से चालू करने के लिए ग्लोबल टेंडर ठेका कंपनी एमएमपीएल को मिला. ठेका कंपनी ने 15 अप्रैल 2022 को माइंस चालू करने का काम शुरू किया
– 24 जून, 2022 को सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक रामदास सोरेन, डीएफओ ममता प्रियदर्शी व एचसीएल के माइनिंग डायरेक्टर की उपस्थिति में अयस्क लदे हाइवा का परिचालन शुरू किया
– लीज एरिया एवं पर्यावरण स्वीकृति के क्षेत्र में अंतर के कारण सुरदा माइंस को माइनिंग चालान नहीं मिला
– सुरदा माइंस से उत्पादित अयस्क के परिवहन नहीं होने से ठेका कंपनी ने सुरदा माइंस में जनवरी से उत्पादन बंद कर दिया
– सुरदा माइंस की लीज राज्य सरकार ने 388 हेक्टेयर का दिया, जबकि पर्यावरणीय स्वीकृति 323 हेक्टेयर का मिला. सुरदा की 65 हेक्टेयर वन भूमि है. फिर से पर्यावरण स्वीकृति के लिए एचसीएल ने आवेदन दिया. मामला राज्य व केंद्र सरकार के बीच लटका है
– माइनिंग चालान के अभाव में सुरदा माइंस परिसर में करीब 50 हजार टन अयस्क बर्बाद हो रहा है.
– सुरदा फेज-टू एक अप्रैल, 2020 से बंद है. ठेका कंपनी श्रीराम इपीसी व एचसीएल के बीच विवाद चल रहा है.
मजदूरों की जुबानी, उनकी परेशानी…परिवार व बच्चों के लिए कुली का काम कर रहा : माझो हांसदा
तांबाजुड़ी के रहने वाले माझो हांसदा सुरदा माइंस में सहायक डीलर हैं. पिछले 3 वर्षों से अधिक समय से बेरोजगार हैं. परिवार की आर्थिक हालत खराब है. मजबूरी में भवन निर्माण कार्य में कुली का काम कर रहा हूं. बेरोजगारी के कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो गयी है.
कंपनी में ऑपरेटर था, आज मजदूरी को भटक रहा हूं : सुरजूसोहदा निवासी सुरजू मुर्मू सुरदा माइंस के फोर सॉफ्ट में सहायक एलएसडी ऑपरेटर हैं. पिछले तीन साल से अधिक समय से बेरोजगार हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है. सूरजू दैनिक मजदूरी के लिए इधर-उधर भटक रहा है. उसे प्रतिदिन काम नहीं मिल पाता है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गयी है.
मां हड़िया बेचती है, तब जाकर घर में चूल्हा जलता है : चंपाईसुरदा बुर्जु टोला के रहने वाले चंपाई मुर्मू सुरदा माइंस में सहायक डीलर के पद पर कार्यरत हैं. सुरदा माइंस में बंदी के कारण पिछले 3 साल से अधिक समय से बेरोजगार हैं. उनकी मां मजबूरी में हड़िया बेचकर परिवार चलाने में मदद कर रही हैं. हालात यह है कि घर में चूल्हा कैसे जलेगा? यह सोचना पड़ता है.
फीस नहीं दे पाने से बच्चों को सरकारी स्कूल में डालना पड़ा : सोबेन हांसदापाथरगोड़ा के लिपुडीह टोला निवासी सोबेन हांसदा सुरदा माइंस में वेंटिलेशन असिस्टेंट हैं. पिछले तीन साल से बेरोजगार हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति बदहाल है. बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ाई करते थे. हालांकि समय पर स्कूल फीस नहीं दे पाने के कारण बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ा रही हैं.
सहायक डीलर था, आज ड्राइवरी करनी पड़ रही : नियरन हांसदासुरदा क्रॉसिंग के निवासी नियरन हांसदा सुरदा माइंस में सहायक डीलर के पद पर हैं. पिछले तीन वर्षों से काम बंद है. बच्चों की पढ़ाई और परिवार का खर्च के लिए ड्राइवरी का काम कर रहे हैं. इसमें भी अक्सर काम नहीं मिलने से संकट उत्पन्न हो जाता है. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें.
आर्थिक तंगी में मरम्मत नहीं करा सकी, घर ध्वस्त हो गया : शांति मुर्मूसुरदा लतारडीह टोला निवासी सीताराम मुर्मू सुरदा माइंस के फोर सॉफ्ट में काम करते हैं. पिछले तीन वर्षों से काम बंद है. इसके कारण घाटशिला में दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. पत्नी शांति मुर्मू के अनुसार, परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है. समय पर मरम्मत नहीं होने से घर ध्वस्त हो गया.
परिवार भरण-पोषण के लिए ट्रैक्टर पर मजदूरी कर रहा हूं : वीरू सबरसुरदा श्याम टोला के रहने वाले वीरू सबर सुरदा माइंस में सहायक लोको ट्रिमर का काम करता था. माइंस बंदी के कारण तीन साल से अधिक समय से बेरोजगार है. परिवार के भरण-पोषण के लिए वीरू को ट्रैक्टर में मजदूरी करना पड़ रहा है. माइंस बंदी के कारण परिवार आर्थिक परेशानी झेल रहा है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है.
शॉफ्ट सिंकिंग का काम करता था अब मजदूरी से भरण-पोषण : हरिसुरदा श्याम टोला निवासी हरि सबर सुरदा फेज-टू में शाफ्ट सिंकिंग का काम करता हैं. पिछले तीन साल से अधिक समय से सॉफ्ट निर्माण का काम बंद है. वह बेरोजगार हो गये हैं. पत्नी सुमित्रा सबर के अनुसार, ट्रैक्टर में दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण हो रहा है.
माइंस बंदी के बाद पति की मौत पत्नी संभाल रही बच्चों कोसुरदा जाहिरटोला निवासी सोना सबर की वर्ष 2020 में माइंस बंदी से मौत हो गयी. सोना सुरदा माइंस में पाइप फिटर का काम करते थे. पत्नी बसंती के अनुसार, माइंस बंदी से आर्थिक स्थिति खराब हो गयी. पति का सही इलाज नहीं हो पाया. वह दो बच्चों की जिम्मेवारी संभाल रही हैं. वह बेनाशोल पंचायत की वार्ड सदस्य हैं.
इलाज के अभाव में पति की मौत, मैं भी लकवाग्रस्तसुरदा माइंस में सहायक ब्लास्टर का काम करने वाले सोहदा निवासी मंगल हांसदा अचानक बेरोजगार हो गये. आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज नहीं करा सके. ऐसे में असमय मौत हो गयी. पत्नी सोनिया हांसदा पर तीन बच्चों के भरण-पोषण का बोझ है. सदमें में सोनिया लकवाग्रस्त हो गयीं. माइंस बंदी से उनका परिवार तबाह हो गया.