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झारखंड : कोयलांचल में शिक्षा का अलख जगा रहे सुरेंद्र महतो, स्कूल बनाने के लिए नौ साल तक किया सूकर पालन

रामगढ़ जिले के बसंतपुर गांव निवासी सुरेंद्र महतो कोयलांचल में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. इनके स्कूल रामगढ़ के अलावा रांची, हजारीबाग और बोकारो के बच्चे भी पढ़ते हैं. इनके स्कूल के बच्चे गांव में अंग्रेजी में ही बात करते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 5, 2023 6:00 AM
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केदला (रामगढ़), वकील चौहान : जब मनुष्य कुछ करने का ठान लेता है, तो कई मुश्किलें चुनौती बन कर दस्तक देती है. जो मुश्किलों से भिड़ जाते हैं, वही व्यक्ति अपनी मुकाम को पाते हैं और लोगों के बीच निखर कर सामने आता है. ऐसे ही कुछ रामगढ़ जिला अंतर्गत मांडू प्रखंड के बसंतपुर गांव निवासी सुरेंद्र महतो ने किया है. सुरेंद्र महतो कोयलांचल के बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. इनके द्वारा संचालिच सरस्वती विद्या मंदिर प्ले स्कूल में रामगढ़, हजारीबाग, रांची व बोकारो से बच्चे पढ़ने आ रहे हैं. स्कूल में इन दिनों दो सौ से अधिक बच्चें पढ़ रहे हैं. बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाती है. गांव क्षेत्र के बच्चे अंग्रेजी में ही बात कर रहे हैं.

2021 में चार रूम का निर्माण करवाया

सुरेंद्र महतो ने कहा कि 1999 से बसंतपुर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में एक शिक्षक के रूप में पढ़ा रहे थे. यह स्कूल ग्रामीण कमेटी बनाकर चला रहे थे. 2015-16 में आपसी सांमजस्य नहीं बन पाने के कारण स्कूल को बंद कर देना पड़ा. इसके बाद जीवन में कई चुनौतिया आयीं, लेकिन मेरा मकसद था क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा देना और गांव के बच्चे भी पढ़-लिख कर क्षेत्र का नाम रोशन करें. इसे लेकर काफी संघर्ष करना पड़ा.

बच्चों को पढ़ाना एक जुनून

स्कूल बंद होने के बाद काफी मासूयी छा गयी थी. पैसे का भी घोर अभाव था. जिसके कारण विद्यालय का भवन बनाना काफी चुनौती थी, लेकिन एक जुनून था कि मुझे बच्चों को पढ़ाना है. इसके लिए पहले से सूअर पालन के काम पर अधिक ध्यान दिया. इस सूअर पालन में टाटा स्टील फाउंडेशन की अहम भूमिका रही है. फाउंडेशन ने सूअर मुहैया करायी थी. लंबी मेहनत के बाद कुछ पूंजी जुटा पाया. पूंजी आ जाने के बाद अपनी जमीन पर वर्ष 2021 में चार रूम का निर्माण करवाया. स्कूल का नाम सरस्वती विद्या मंदिर ही रखा और पढ़ाई का शुरुआत की.

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नर्सरी से कक्षा पांच तक की होती है पढ‍़ाई

सरस्वती विद्या मंदिर में अभी नर्सरी से कक्षा पांच तक की बच्चे पढ़ते हैं. स्कूल में नौ शिक्षक बहाल है. गांव के बच्चों से मात्र दो से तीन सौ फीस लिया जा रहा है. वहीं स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ रहे बच्चों से दो हजार प्रति माह फीस लिया जा रहा है. बसंतपुर गांव के बच्चे इंग्लिश में स्पीच देते हैं. बच्चों की बेहतर शिक्षा देख अभिभावक को चेहरे पर एक अलग रौनक दिखती है. उन्होंने ने कहा कि टाटा स्टील फाउंडेशन ने इस वर्ष नये भवन निर्माण में काफी योगदान दिया है. शिक्षा के क्षेत्र में फाउंडेशन की योगदान काफी बेहतर रहा है. जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

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