Ravivar Puja Aarti: रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित हैं. इस दिन सूर्यदेव को जल देने के साथ ही उनके बीज मंत्र और आरती को जरूर करना चाहिए. रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और यश-कीर्ति में बढ़ोतरी होती है. सूर्य जिसकी कुंडली में तेज होते हैं, उसे जीवन में सूर्य के समान नाम-सम्म्मान और शौर्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही उसे हर कार्य में सफलता मिलती है. वहीं जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होते हैं, उनका भाग्योदय रूका रहता है. मान्यता है कि हर रोज स्नान कर सूर्य देव को जल देना चाहिए और उनकी आरती जरुर करनी चाहिए. आइए जानते हैं सूर्य को जल देने की सही विधि और उनकी आरती…
सूर्य को जल देते समय ‘ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए. सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए. तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली और लाल फूल डालकर जल दें. जल देते समय ध्यान रहे कि इसके छींटे पैर पर न पड़ें. इसके लिए आप जल किसी बाल्टी में डालें और इसे किसी पौधे में बाद में डाल दें.
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ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
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ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
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ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
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ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
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ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
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ॐ सूर्याय नम:
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ॐ घृणि सूर्याय नम:
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ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी॥
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे।
तुम हो देव महान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते॥
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते॥
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी।
दे नव जीवनदान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार॥
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते।
बल बृद्धि और ज्ञान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥
वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्व शक्तिमान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥