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Surya Grahan 2021: इस दिन लग रहा है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, यहां देखें इससे जुड़ी राहू-केतू की पौराणिक कथा

Surya Grahan 2021 Date and Time: किसी भी ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य और कुछ विशेष काम नहीं किये जाते हैं. इस साल का आखिरी सूर्यग्रहण 4 दिसंबर, शनिवार को पड़ रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2021 4:47 PM
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साल 2021 का अंतिम और दूसरा सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष मास की अमावस्या के दिन लगेगा। इस साल यह तिथि 4 दिसंबर, शनिवार को पड़ रही है. सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय व वैज्ञानिक महत्व है. सूर्य ग्रहण को अशुभ घटना माना जाता है. सूर्य ग्रहण के दौरान शुभ व मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं.

सूर्य ग्रहण का समय

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर (शनिवार) सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा.

ग्रहण के समय सूतक काल: जो लोग इस ग्रहण का सूतक काल मानेंगे उन्हें बता दें कि सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है जिसकी समाप्ति ग्रहण के साथ होती है. जानिए इस दौरान किन बातों का रखना होता है विशेष ध्यान…

सूतक काल के समय भोजन बनाना और खाना दोनों ही मना होता है. हालांकि यह नियम बच्चों, बीमार लोगों और बुजुर्गों पर लागू नहीं होता.

सूतक काल के दौरान किसी भी तरह का नया काम शुरू नहीं किया जाता है.

सूतक लगते ही घर के मंदिर को ढक दिया जाता है और भगवान की मूर्तियों को हाथ से नहीं लगाया जाता है.

सूतक काल के समय बालों पर कंघी करना, दांतून करना अशुभ माना जाता है.

सूर्य ग्रहण और राहू केतु की पौराणिक कथा

समुद्र मंथन की पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब दैत्यों ने तीनों लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी. तीनों लोक को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु का आह्वान किया गया था. तब भगवान विष्णु ने देवताओं को क्षीर सागर का मंथन करने के लिए कहा और इस मंथन से निकले अमृत का पान करने के लिए कहा. भगवान विष्णु ने देवताओं को चेताया था कि ध्यान रहे अमृत असुर न पीने पाएं क्योंकि तब इन्हें युद्ध में कभी हराया नहीं जा सकेगा.

भगवान के कहे अनुसार देवताओं मे क्षीर सागर में मंथन किया. समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवता और असुरों में लड़ाई हुई. तब भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण कर एक तरफ देवता और एक तरफ असुरों को बिठा दिया और कहा कि बारी-बारी सबको अमृत मिलेगा. यह सुनकर एक असुर देवताओं के बीच भेष बदल कर बैठ गया, लेकिन चंद्र और सूर्य उसे पहचान गए और भगवान विष्णु को इसकीजानकारी दी, लेकिन तब तक भगवान उस अमृत दे चुके थे.

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