इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है. कोरोना वायरस को सूर्य ग्रणह से जोड़कर देखा जा रहा है. दुनियाभर के लोग कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे हैं। वर्ल्डोमीटर के अनुसार पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से चार लाख 23 हजार से अधिक लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. वहीं, 75 लाख 97 हजार से अधिक लोग संक्रमित है. कोरोना का प्रकोप 26 दिसंबर 2019 को लगा सूर्य ग्रहण के बाद तेजी से बढ़ा है. इधर, चेन्नई के एक वैज्ञानिक ने 26 दिसंबर के सूर्यग्रहण के साथ कोविद -19 के प्रकोप के संबंध का दावा भी किया है.
वैज्ञानिक के अनुसार, सूर्य ग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा के कारण पहले न्यूट्रॉन (neutrons) के एक उत्परिवर्तित कण (mutated particle) संपर्क के बाद कोरोना वायरस टूट गया है. एक संभावित सिद्धांत को समर्पित करते हुए, परमाणु और पृथ्वी वैज्ञानिक डॉ केएल सुंदर ने एएनआई को बताया है कि दिसंबर 2019 के बाद से कोरोना वायरस हमारे जीवन को नष्ट करने के लिए सामने आया हैं.
मेरी समझ के अनुसार, 26 दिसंबर को आखिरी सूर्य ग्रहण होने पर सौर मंडल में नए संरेखण के साथ एक ग्रह विन्यास है. अंतर-ग्रह बल भिन्नता के कारण वायरस ऊपरी वायुमंडल से उत्पन्न हुआ है, एक नया संरेखण जिसमें पृथ्वी ने एक अनुकूल वातावरण बनाया है. पहले न्यूट्रॉन के लिए, सूर्य से सबसे अधिक विखंडन ऊर्जा से बाहर आ रहे हैं.
वैज्ञानिक ने कहा कि विदेशी अवशोषित सामग्री के साथ न्यूक्लियर (न्यूक्लियस गठन) शुरू किया हो सकता है जो बायोमोलेक्यूल का एक नाभिक हो सकता है, जो ऊपरी वायुमंडल में जैव-परमाणु संपर्क हुआ. जैव-आण्विक संरचना (प्रोटीन) का उत्परिवर्तन इस वायरस का एक संभावित स्रोत हो सकता है.
वैज्ञानिक डॉ केएल सुंदर ने यह भी कहा कि उत्परिवर्तन प्रक्रिया संभवतः चीन में पहले देखी गई थी, लेकिन फिर कोई सबूत नहीं मिला. यह एक प्रयोग या जानबूझकर किए गए प्रयास का प्रकोप हो सकता है. वैज्ञानिक के अनुसार, 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है. सूर्य की किरणों (विखंडन ऊर्जा) की तीव्रता वायरस को निष्क्रिय कर देगी. इसके बाद उन्होंने कहा कि हमें घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह ग्रह विन्यास में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. सूर्य ग्रहण इस वायरस का प्राकृतिक उपचार होगा.