Surya Grahan, Solar Eclipse 2022 Date, Time: साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण 2022 जल्द ही दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में दिखाई देगा. साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर, 2022 यानी दिवाली के ठीक अगले दिन लगेगा.
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के चंद घंटों बाद ही ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा. जो 12 घंटे का रहेगा. इसके बाद 25 अक्टूबर यानी दिवाली के अगले दिन 4 बजकर 22 मिनट से शाम करीब 6.30 बजे तक सूर्य ग्रहण क्षेत्रवार अलग अलग समय पर होगा.
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सुई में धागा नहीं डालना चाहिये
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कुछ काटना, छीलना नहीं चाहिये
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कुछ छौंकना या बघारना नहीं चाहिये
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय प्रेग्नेंट महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिये
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सूर्य ग्रहण के दौरान करें ये उपाय
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सूर्य ग्रहण के दौरान कोई शुभ काम नहीं किया जाता. इस समय पूजा-पाठ भी न करें.
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किचन में रखीं खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें.
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सूतक काल से लेकर ग्रहण पूर्ण होने तक सिर्फ ईश्वर की अराधना करें. एक स्थान पर बैठकर भगवान के भजन और मंत्र जाप आदि करें.
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ग्रहण पूरा होने के बाद मकान, दुकान, प्रतिष्ठा की साफ सफाई करें. घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें. अगर संभव हो तो घर में नमक के पानी से सफाई करें.
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ग्रहण के बाद खुद भी स्नान करें और देवी-देवताओं को भी स्नान कराएं. खाने की चीजों पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करें और उसके बाद ही ग्रहण करें.
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इस दौरान पति-पत्नी शारीरिक संबंध न बनाएं.
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वहीं, इस दौरान धूप, दीप, हवन आदि चीजों की भी मनाही होती है.
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गर्भवती स्त्री या कुंडली दोष वाले लोग भी इस दौरान घर से बाहर न निकलें.
हम एक ऐसे ब्रह्मांड में रहते हैं जिसमें अनेक प्रकार के ग्रह अपनी-अपनी कक्षाओं में गति करते रहते हैं. हमारी आकाशगंगा में सूर्य देव के चारों ओर अनेकों ग्रह परिक्रमा करते हैं जिसमें हमारी पृथ्वी भी शामिल है और पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा में गति करता है. कभी-कभी आशीष ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि जब पृथ्वी अपनी कक्षा में गति कर रही होती है और चंद्रमा भी अपनी कक्षा में गतिमान होता है तो एक ऐसा समय आता है कि जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी ऐसी स्थिति में आ जाते हैं कि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधा नहीं पहुंच पाता क्योंकि उसके मध्य में चंद्रमा आ जाता है. ऐसे में जो घटना निर्मित होती है, उसे सूर्य ग्रहण की संज्ञा दी जाती है.
यह एक महत्वपूर्ण घटना है जो कि सितारों की गति के कारण होती है और कई बार हम इसे स्पष्ट आंखों से भी देख सकते हैं जबकि ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण एक विशेष अवधि होती है जिसके दौरान ग्रह विशेष का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव प्राणी मात्र पर प्रदर्शित होता है.