Sushant Singh Rajput death : करीबी दोस्‍त ने बताया,’ जब मैंने सुशांत के पर्स से…

sushant singh rajput friend sandip singh relevations, sushant singh rajput pan card : सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) 14 जून 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह गए. सुशांत मुंबई में अकेले रहते थे और जब उनका परिवार पटना (बिहार) में था. यह उनके करीबी दोस्त संदीप सिंह (Sandip Singh) थे जिन्होंने मुंबई में सभी औपचारिकताओं को पूरा किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2020 5:18 PM
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Sushant Singh Rajput close friend Sandip Singh : सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) 14 जून 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह गए. सुशांत मुंबई में अकेले रहते थे और जब उनका परिवार पटना (बिहार) में था. यह उनके करीबी दोस्त संदीप सिंह (Sandip Ssingh) थे जिन्होंने मुंबई में सभी औपचारिकताओं को पूरा किया. संदीप पहले शख्‍स थे जो सुशांत के निधन के बाद सबसे पहले उनके आवास पर पहुंचे थे. वे उन्‍हें अस्पताल लेकर गए थे और पोस्टमार्टम होने तक रुके रहे थे.

संदीप तब भी वही मौजूद थे जब दिवंगत अभिनेता के शव को श्मशान घाट ले जाया गया था. सुशांत के परिवार वाले अस्पताल नहीं आए थे बल्कि वे सीधे अभिनेता के अंतिम संस्‍कार के लिए श्मशान घाट पहुंचे थे. अब एक इंटरव्‍यू में संदीप सिंह ने अपना दर्दनाक अनुभव शेयर किया है.

संदीप ने बताया कि उसने सब कुछ संभाला और पुलिस के साथ भी बातचीत की. जैसा कि परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद नहीं था, ऐसे में संदीप ने अपने दोस्त की अंतिम यात्रा में हर पल साथ रहे. स्‍पॉटब्‍वॉय से बातचीत में संदीप ने कहा,’ परिवार से कोई भी नहीं था और हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना है? मैंने महेश को टूटते देखा, वह वह समय था जब मुझे लगा कि मुझे खुद पर नियंत्रण रखना है; बहुत सारी प्रक्रियाएं थीं जिन्हें पूरा करना था.

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उन्होंने आगे कहा, मुझे नहीं पता कि मैं कैसे आपको उस सिचुएशन के बारे में बताऊं. हमने सुशांत को नीचे उतारा, उसे एंबुलेंस में ले गए और फिर पोस्टमॉर्टम के लिए कूपर अस्पताल ले जाया गया. फिर वापस घर गए और नीतू दीदी को वापस अस्पताल लेकर आए. उस स्ट्रेचर पर देखना और फिर उन सभी कागजों पर हस्ताक्षर करना. फिर बाद में मीडिया से बात करना.’

संदीप सिंह,’ इस पूरे पल ने मेरे दिल, दिमाग और आंखों पर हमेशा के लिए चोट दे दिया. मुझे पुलिस ने वापस बुलाया क्योंकि वहां बहुत सारी कागजी कार्रवाई होनी थी. मुझे उसका पैन कार्ड, आधार कार्ड उसके बटुए से लेना था और यह उस समय मुश्किल था. मुझे पोस्टमॉर्टम होने तक अस्पताल में रुकना था. यह एक बहुत बुरा सपना था. संदीप ने कहा, हम यह भी कल्पना नहीं कर सकते कि किसी प्रिय मित्र के खोने का दर्द क्‍या होता है.

Posted By: Budhmani Minj

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