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गंगासागर मेला निगरानी समिति से भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी आउट, कलकत्ता हाईकोर्ट ने किया कमेटी का पुनर्गठन

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंगासागर मेला निगरानी समिति से बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को बाहर कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस ने जतायी थी आपत्ति. जानें क्या है पूरा मामला...

कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal News) के दक्षिण 24 परगना जिला (South 24 Pargana District) स्थित सागर द्वीप में हर साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन लगने वाले गंगासागर मेला (Gangasagar Mela) की निगरानी के लिए बनी समिति से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) को बाहर कर दिया गया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले दिनों कोरोना काल में मेला की निगरानी के लिए एक समिति बनायी थी, जिसमें बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को भी शामिल किया गया था.

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने सागर द्वीप (Sagar Dweep) में गंगासागर मेले में कोविड-19 संबंधी पाबंदियों के अनुपालन की निगरानी के लिए 7 जनवरी को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. इसमें नेता प्रतिपक्ष को भी शामिल किया था. लेकिन, मंगलवार को तीन-सदस्यीय समिति का पुनर्गठन करते हुए राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को इससे बाहर कर दिया है. सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की आपत्ति पर हाईकोर्ट ने ऐसा किया है.

तृणमूल कांग्रेस नीत पश्चिम बंगाल सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के नेता सुवेंदु अधिकारी को समिति में शामिल करने पर आपत्ति जतायी थी. कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस केडी भूटिया की खंडपीठ ने इसे दो सदस्यीय समिति के रूप में पुनर्गठित कर दिया, जिसमें पूर्व जज जस्टिस संपति चटर्जी और पश्चिम बंगाल विधि सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को मेला की निगरानी की जिम्मेदारी दी गयी है.

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इस साल के गंगासागर मेला पर रोक लगाने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने पहले एक समिति बनायी थी, जिसमें विपक्ष के नेता, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और राज्य के एक प्रतिनिधि शामिल थे. महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने कोर्ट को सूचित किया कि राज्य मानवाधिकार आयोग का पद खाली है और विपक्ष के नेता को शामिल करने से पैनल को राजनीतिक रंग मिल जायेगा.

इस पर खंडपीठ ने कहा, ‘आवेदकों या राज्य के मन में किसी भी तरह की गलतफहमी से बचने के लिए हमने गंगासागर द्वीप पर मौके पर स्थिति की समीक्षा करने के लिए इस कोर्ट (कलकत्ता हाईकोर्ट) के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति का पुनर्गठन करना उचित समझा.’ इससे पहले, पीठ ने 8 से 16 जनवरी के बीच तीर्थयात्रियों को गंगासागर मेला में जाने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया था कि पूरे सागर द्वीप को एक अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया जाये.

गंगासागर मेला के लिए कोर्ट ने दिये हैं सख्त निर्देश

  • गंगासागर मेला के दौरान पूरे सागर द्वीप को अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया जाये.

  • सुनिश्चित करें कि मेला में आने वाले सभी लोगों ने कोविड-19 रोधी टीकों की दोनों खुराक ले रखी हो.

  • कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से 72 घंटे पहले की ‘आरटीपीसीआर’ जांच रिपोर्ट हो.

  • संक्रमित लोगों को मेला में जाने की अनुमति किसी भी सूरत में न दी जाये.

  • सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टैंसिंग) बनाये रखने के लिए भीड़ को सख्ती से नियंत्रित किया जाये.

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सागर द्वीप अधिसूचित क्षेत्र क्यों?

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सागर द्वीप को अधिसूचित क्षेत्र घोषित करने का निर्देश दिया था, ताकि सागर द्वीप को अधिसूचित क्षेत्र के रूप में घोषित करने से राज्य सरकार को आवश्यकतानुसार तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य और कल्याण की सुरक्षा के लिए उपाय करने का अधिकार मिलेगा.

Posted By: Mithilesh Jha

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