23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हाइकोर्ट के एफआइआर से रोक हटाने के आदेश को शुभेंदु ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

शुभेंदु अधिकारी को तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब अदालत इसके लिए अनुमति दे. न्यायमूर्ति आइपी मुखर्जी ने कहा था कि पुलिस दर्ज की गई शिकायतों की जांच करने के बाद कार्रवाई कर सकती है .

कोलकाता, अमर शक्ति : भारतीय जनता पार्टी के नेता और पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ द्वारा एफआइआर से रोक हटाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाइकोर्ट की खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जा सकती है, लेकिन कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर सकती. बताया गया है कि शीर्ष अदालत इस मामले पर चार अगस्त को सुनवाई कर सकती है.

20 जुलाई को शुभेंदु का हटा दिया गया था रक्षाकवच

20 जुलाई को, हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति इंद्र प्रसन्न मुखर्जी और न्यायमूर्ति विश्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ द्वारा उन्हें दी गयी रक्षाकवच को हटा दिया था. अदालत से संरक्षण हटाये जाने के तुरंत बाद, राज्य पुलिस ने हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में हिंसा भड़काने के आरोप में शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. पुलिस ने एक वीडियो दिखाया, इसमें अधिकारी को एक कार्यक्रम में मतदाताओं से यह कहते हुए देखा गया कि अगर धांधली और गलत मतदान की कोई घटना होती है, तो मतपेटियों को तालाबों में फेंक दें.

गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई में पुलिस को अदालत से लेनी होगी अनुमति

हालांकि, खंडपीठ ने कहा है कि गिरफ्तारी जैसी किसी भी दंडात्मक कार्रवाई के मामले में पुलिस को अदालत से अनुमति लेनी होगी. शुभेंदु अधिकारी को तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब अदालत इसके लिए अनुमति दे. न्यायमूर्ति आइपी मुखर्जी ने कहा था कि पुलिस दर्ज की गई शिकायतों की जांच करने के बाद कार्रवाई कर सकती है और फिर एफआईआर दर्ज कर सकती है. हालांकि, केवल उत्पीड़न के लिए एफआईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए.

मुहर्रम के दौरान ढोल बजाने के समय को लेकर दिशा-निर्देश जारी करे पुलिस

कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल पुलिस को निर्देश दिया है कि 29 जुलाई को मनाये जाने वाले मुहर्रम त्योहार को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी करें, जिसमें ढोल बजाने के संबंध में सख्त दिशा-निर्देश दिये गये हों. हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को आदेश दिया है कि नोटिस में ढोल बजाने के समय को लेकर दिशा-निर्देश होना चाहिए. हाइकोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है. इसके अलावा कलकत्ता हाइकोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी मुहर्रम पर्व पर शोर के स्तर को विनियमित करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया.

Also Read: सुप्रीम कोर्ट ने इडी से अभिषेक, उनकी पत्नी के खिलाफ लुकआउट नोटिस पर मांगी रिपोर्ट
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की बेंच ने पुलिस की कार्यवाही पर हैरत जताते हुए कहा कि इस सिलसिले में पहले ही कोई सख्त एक्शन लिया जाना था. फिर बेंच ने पुलिस के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस सिलसिले में दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा. मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने कहा कि संविधान में प्रत्येक नागरिक को अपना त्योहार मनाने की अनुमति दी गयी है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इससे किसी और को कोई परेशानी हो. हमें इसके लिए कुछ न कुछ तो करना होगा, जिससे लोगों को परेशानी न हो.

Also Read: शिक्षक भर्ती मामले में इडी के दस्तावेज में अभिषेक के नाम का मिला उल्लेख, दिल्ली भेजी गई रिपोर्ट
हाइकोर्ट ने दिया आदेश

हाइकोर्ट ने कहा कि ढोल बजाने की अनुमति सुबह और शाम के लिए ही देना ठीक रहेगा. सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे. अदालत ने कहा कि सुबह ढोल पीटने का काम आठ बजे से पहले किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए. शाम को भी सात बजे के बाद ढोल की आवाज सुनाई नहीं देनी चाहिए. बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत भी मानती है कि धार्मिक समारोह के दौरान किसी की वजह से दूसरे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

Also Read: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलिस का नया डिविजन बनाने का दिया निर्देश, कोलकाता पुलिस के दायरे में आयेगा भागंड़

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें