लुकिंग इनवर्ड (भीतर देखना) : परिवर्तनशील जगत में स्थिरता के लिए ध्यान
आज सारी दुनिया मानसिक स्वास्थ्य के संकट की चपेट में है, विश्व में अवसाद, चिंता और गहन तनाव से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में अधिक से अधिक लोग अपने सवालों का जवाब भीतर तलाश रहे हैं. एक ऐसी यात्रा पर जाने के लिए जो आत्मा की तरह अमूर्त है.
आज सारी दुनिया मानसिक स्वास्थ्य के संकट की चपेट में है, विश्व में अवसाद, चिंता और गहन तनाव से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में अधिक से अधिक लोग अपने सवालों का जवाब भीतर तलाश रहे हैं. एक ऐसी यात्रा पर जाने के लिए जो आत्मा की तरह अमूर्त है, एक विश्वसनीय मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है, ऐसा मार्गदर्शक जिसने स्वयं यह यात्रा की हो. आज लगभग 500 मिलियन लोग प्रतिदिन ध्यान करते हैं, किन्तु प्रश्न यह है कि बेहतर परिणाम देने के लिए ध्यान का अभ्यास कितना प्रभावी है और क्या इसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है?
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए और ध्यान के बारे में किसी के मन में उठने वाले हर दूसरे संभावित प्रश्न का उत्तर देने के लिए एक डच-भारतीय योगी और वरिष्ठ आर्ट ऑफ़ लिविंग शिक्षक स्वामी पूर्ण चैतन्य द्वारा लिखी अंतर्दृष्टिपूर्ण उपाख्यानों और ज्ञान से पूर्ण पुस्तक-”लुकिंग इनवर्ड: मेडिटिंग टू सर्वाइव इन ए चेंजिंग वर्ल्ड” प्रकाशित हुई है, जो पिछले – वर्षों से दुनिया भर में लाखों लोगों को ध्यान की कला सिखा रहे हैं.
पुस्तक एक ऐसी शैली में लिखी गई है जो सरल किन्तु आकर्षक है, यह पाठक को चिंता और तनाव के कारणों व भीतर निहित समाधान तक गहराई से ले जाती है, जिससे पाठक को मन और मन के स्वभाव की स्पष्ट समझ प्राप्त हो जाती है. शक्तिशाली ध्यान अभ्यासों के माध्यम से आंतरिक शांति पाने में लेखक की यात्रा की पृष्ठभूमि में लिखी गयी इस पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में रोचक उपाख्यान, बहुमूल्य अंतर्दृष्टि, और दस मिनट का अभ्यास शामिल है जो आपको अपने मन पर नियंत्रण करने और अपने स्वयं के ध्यान अभ्यास के निर्माण में एक कदम और आगे ले जाएगा.
स्वामी पूर्णचैतन्य जो कि मूलतः नीदरलैंड से हैं , विश्व में अनेक लोगों के लिए एक लेखक, वक्ता और आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं. वह आर्ट ऑफ लिविंग के योग, ध्यान और मंत्रों के एक लोकप्रिय शिक्षक और अपनी गर्मजोशी, उत्साह व भावपूर्ण उपस्थिति के कारण एक प्रभावशाली कथावाचक हैं.
पुस्तक के बारे में लोगों की राय
‘आपके भावनात्मक स्वास्थ्य का आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है. भीतर की ओर देखने से आप तनाव, चिंता और अन्य नकारात्मक भावनाओं के मूल कारण की पहचान करने में सक्षम होते हैं और यह पुस्तक आपको ध्यान की मदद से उन्हें दूर करने की क्षमता प्रदान करेगी. इसकी सुंदरता इसकी सादगी और विचारों की स्पष्टता में निहित है. ध्यान को एक अभ्यास के रूप में बनाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए.’ – ल्यूक कॉटिन्हो, लेखक और वेलनेस गुरु
‘लुकिंग इन्वर्ड’ के रूप में स्वामी पूर्ण चैतन्य ध्यान पर एक सुंदर पुस्तिका पाठक के लिए लाये हैं जिससे कोई भी अपने घर में सुरक्षित रूप से ध्यान का अभ्यास करना सीख सकता है. हम जिस दुनिया में हैं, उसे देखते हुए हर किसी को सरलता से पालन करने वाले प्रारूप में प्राचीन ज्ञान से भरी इस पुस्तक को पढ़ना चाहिए.’ – यश बिड़ला, भारतीय उद्योगपति.
‘जब हमारे आस-पास की दुनिया में उथल-पुथल है, तो हमें अपने भीतर देखने की जरूरत है। ध्यान वह साधन है जो हमें अत्यंत आवश्यक सांत्वना और आंतरिक शक्ति प्रदान कर सकता है.’ – गुरुदेव श्री श्री रविशंकर
लेखक का विस्तृत परिचय –
स्वामी पूर्णचैतन्य जो कि मूलतः नीदरलैंड से हैं , विश्व में अनेक लोगों के लिए एक लेखक, वक्ता और आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं. वह आर्ट ऑफ लिविंग के योग, ध्यान और मंत्रों के एक लोकप्रिय शिक्षक और अपनी गर्मजोशी, उत्साह व भावपूर्ण उपस्थिति के कारण एक प्रभावशाली कथावाचक हैं. स्वामीजी का जन्म नीदरलैंड में एक डच पिता और एक भारतीय मां के घर हुआ था, जिन्होंने उन्हें पूर्व की आध्यात्मिक प्रथाओं, संस्कृति और दर्शन में गहरी रुचि जगाने में केंद्रीय भूमिका निभाई. उनके जीवन में निर्णायक क्षण सोलह वर्ष की आयु में आया, जब वे आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर से मिले, जिनमें उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु को पहचाना.
संस्कृत में विशेषज्ञता के साथ इंडोलॉजी में अपनी विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नीदरलैंड छोड़ दिया और वैदिक ज्ञान, अनुष्ठानों, मंत्रों और वैदिक स्तोत्रों के पाठ में महारत हासिल करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर बेंगलुरु, भारत चले आये. उन्होंने अपनी उच्चचेतना व दूसरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने की प्रतिबद्धता के रूप में स्वामी की उपाधि प्राप्त की. पूर्ण चैतन्य उनके गुरु द्वारा दिया गया नाम है, जिसका अर्थ है जिसकी चेतना पूरी तरह से खिल गई है.