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बर्बादी की दास्तां : करोड़पति होते हुए बाढ़ और कटाव के कारण आज दूसरे के घर चूल्हा-चौका को मजबूर

अररिया : नगर परिषद के खरैया बस्ती वार्ड संख्या-12 के करीब 15 परिवार हर साल बाढ़ और कटाव की चपेट में आकर अपना घर द्वार छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. परमान नदी ने इन सबों की खेती-बाड़ी से भी बेदखल कर दिया है. इसी में एक परिवार मो मुर्शीद का भी है. उनके परिवार में कुल पांच सदस्य हैं.

अररिया : नगर परिषद के खरैया बस्ती वार्ड संख्या-12 के करीब 15 परिवार हर साल बाढ़ और कटाव की चपेट में आकर अपना घर द्वार छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. परमान नदी ने इन सबों की खेती-बाड़ी से भी बेदखल कर दिया है. इसी में एक परिवार मो मुर्शीद का भी है. उनके परिवार में कुल पांच सदस्य हैं.

ये लोग तीन दशकों से परमान नदी की मार झेलते-झेलते भूमिहीन हो गये हैं. भूमि है भी, तो वहां अब घर बनाकर नहीं रह सकते. दो एकड़ पुस्तैनी भूमि पर इस समय बाढ़ का पानी हटने पर एक-दो फसल हो जाती है. यह परिवार अपना गुजर-बसर करने के लिए मजदूरी 250-300 रुपये प्रतिदिन पर गुजारा कर रहे हैं.

परिवारों के सदस्यों ने घर नहीं रहने के कारण बच्चों को पढ़ने के लिए मामा के घर सहारनपुर भेज दिया है. वहीं, मो शफीक के परिवार के सदस्य दूसरे के घर चूल्हा-चौका कर अपने एक बेटा और एक बेटी की परवरिश कर रही हैं. उन्हें सरकारी लाभ कुछ नहीं मिल रहा है और ना ही इनके पास राशन कार्ड है, जिससे इनको मुफ्त राशन मिल सके.

करोड़पति परिवार, आज बन गया खाकपति

जिला निबंधन कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, अररिया शहर में इस समय सात लाख रुपये प्रति डिसमिल जमीन बिक रही है. वहीं, परमान नदी से सटे क्षेत्र में पांच लाख रुपये डिसमिल जमीन का मूल्य है.

कटाव और बाढ़ के चलते लगभग 2.5 करोड़ रुपये मूल्य के जमीन मालिक सरकार की जमीन पर वार्ड संख्या-11 में झोपड़ी में गुजारा करने को मजबूर हैं. मालूम हो कि तीन दशक पहले ये लोग अपनी जमीन पर घर बना कर दो एकड़ में खेती करते आ रहे थे.

Posted By : Kaushal Kishor

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