भगवान राम और सीता के चित्र से छेड़छाड़, छात्रों ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आंदोलन की दी धमकी
Varanasi News: बीएचयू छात्र आशीर्वाद दुबे ने कहा कि भगवान राम और सीता के चित्र में छेड़छाड़ के मामले में अगर प्रोफेसर का निलंबन विश्वविद्यालय नहीं करता है तो इसके लिए हम लोग व्यापक जनांदोलन करेंगे.
Varanasi News: बीएचयू में दृश्य कला संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा चित्र प्रदर्शनी में भगवान राम के चित्र से छेड़छाड़ के मामले में छात्रों में काफी नाराजगी है. इसके विरोध में वीर सावरकर मंच द्वारा पूरे कैंपस में चित्र के विरोध में पोस्टर लगाया गया है. पोस्टर के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के निलंबन की मांग की गई है. पोस्टर में कहा गया है, ‘अब हिंदुओं के आराध्य श्री राम का अपमान कार्रवाई कब’. छात्रों ने कहा है कि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो छात्र एक बड़ा जन आंदोलन करेंगे.
प्रोफेसर ने भगवान राम और सीता की जगह लगाया अपना और पत्नी का चित्र
बीएचयू छात्र आशीर्वाद दुबे ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर में लगाये गए पोस्टर को लेकर कहा कि दृश्य कला संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर अमरीश कुमार ने प्रभु श्रीराम और माता सीता के चित्र के साथ अपने और अपनी पत्नी का चित्र लगाकर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया है. ये करोड़ों हिंदुओं की आस्था के विरुद्ध है. महामना के अस्तित्व के विरुद्ध है. इसके बावजूद असिस्टेंट प्रोफेसर पर अभी तक विश्वविद्यालय ने कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है. इसलिए इसके विरोध में वीर सावरकर मंच द्वारा पूरे विश्वविद्यालय में पोस्टर लगाकर विरोध दर्ज किया गया है.
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प्रोफेसर के खिलाफ लंका थाने में दी गई तहरीर
आशीर्वाद दुबे ने बताया, पोस्टर पर लिखा है कि ‘हिंदुओं कब तक सहोगे अपमान’. यदि किसी विश्वविद्यालय में हिन्दू धर्म के प्रति इस तरीके के कुकृत्य किये जा रहे हैं तो इसका मतलब है कि जिन असिस्टेंट प्रोफेसर ने यह किया है, उन्हें भी भलीभांति यह पता है कि वे ये गलत कर रहे हैं. मगर उन्होंने जानबूझकर पद, प्रतिष्ठा, लाभ के चक्कर में ये किया है. ये अक्षम्य अपराध है. इसके खिलाफ हम लोगों ने लंका थाने में इसकी तहरीर दी है.
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प्रोफेसर का निलंबन न होने पर होगा आंदोलन
आशीर्वाद दुबे ने कहा कि अगर प्रोफेसर का निलंबन विश्वविद्यालय नहीं करता है तो इसके लिए हम लोग व्यापक जनांदोलन करेंगे. वैश्विक जगत में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का अपना एक परिचय है, ये विश्वविद्यालय का अपमान है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी