श्रद्धालुओं के लिये खुशखबरी : कौशिकी अमावस्या के दिन तारापीठ मंदिर रात में भी रहेगा खुला
भक्तों के बारे में सोचते हुए कौशिकी अमावस्या के दौरान लगातार दो दिन तारापीठ में मां का मंदिर खुला रहेगा. ऐसा निर्णय मंदिर समिति ने लिया है. मंदिर में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यहां रोजाना पूजा होती है.
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर की तारापीठ मां की महिमा सिर्फ बंगाल ही नहीं विदेश में फैली हुई है. कौशिकी अमावस्या के दौरान भक्तों को ध्यान में रखते हुए मंदिर 13 और 14 अक्टूबर को पूरे दिन और रात खुला रहेगा. भक्तों के बारे में सोचते हुए कौशिकी अमावस्या के दौरान लगातार दो दिन तारापीठ में मां का मंदिर खुला रहेगा. ऐसा निर्णय मंदिर समिति ने लिया है. मंदिर में प्रतिदिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यहां रोजाना पूजा होती है, इसके अलावा शनिवार और मंगलवार और विशेष दिनों में यहां विशेष पूजा की जाती है.
कौशिकी अमावस्या के दिन उमड़ती है भक्तों की भीड़
कौशिकी अमावस्या के दिन लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और अब महज कुछ दिन बाद ही कौशिकी अमावस्या है. इस साल भी यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी. मंदिर समिति के अध्यक्ष तारामोय मुखोपाध्याय ने कहा, इसलिए भक्तों के बारे में सोचते हुए मंदिर 13 और 14 अक्टूबर को पूरे दिन और रात खुला रखा जाएगा.
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तारापीठ में बना बामा-तारा तोरण द्वार
बीरभूम जिले में मां तारा के तारापीठ मंदिर में कंक्रीट का तोरण-द्वार बन गया. नवनिर्मित तोरण-द्वार का नाम बामा-तारा तोरण रखा गया है. शनिवार को नवनिर्मित तोरण-द्वार का राज्य के अग्निशमन व आपात सेवा मंत्री सुजीत बसु ने उद्घाटन किया. बामा खेपा, मां तारा के अनन्य भक्त थे. इसलिए नये तोरण-द्वार के नाम में माता के भक्त का नाम भी जोड़ा गया है. तंत्र-साधकों के लिए तारापीठ जागृत शक्तिपीठ माना जाता है.
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दर्शन-पूजन पर लगीं कई बंदिशें
हालांकि तारापीठ मंदिर में पूजा करने वालों लोगों के लिये कई बंदिशे भी लगा दी गई है. तारापीठ में नारियल भी फोड़ कर चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी, अब तक सिंदूर, महावर आदि खोल कर चढाये जाते थे, जिससे देवी के वस्त्र व मंदिर की दीवारे खराब हो रही थीं. साथ ही नारियल फोड़ने से फर्श को क्षति पहुंच रही थी. इसलिए मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि गर्भगृह के जीर्णोद्धार के बाद ये वस्तुएं अब भक्त गर्भगृह में नहीं ले जा पायेंगे, मालूम रहे कि तारापीठ मंदिर के गर्भगृह के नवीनीकरण व जीर्णोद्धार के कारण मंदिर को कुछ दिनों के लिये बंद करके रखा गया था. मां तारा की प्रतिमा को अस्थायी रूप से नजदीकी शिव-मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया था. जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद मां की मूर्ति को फिर से गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया.
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मंदिर में सेंट्रलाइज्ड एसी लगाने की तैयारी शुरु
सितंबर में कौशिकी अमावस्या से पहले गर्भगृह में सेंट्रलाइज्ड एसी लग जायेगा, तारापीठ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष तारामय मुखोपाध्याय ने बताया कि अब श्रद्धालु सिदूरस आलता व नारियल लेकर गर्भगृह में नहीं जा पायेंगे. यदि विशेष परिस्थिति में कोई भक्त ये तीनों चीजें लेकर गर्भगृह में चला भी जाता है, तो ये चीजें वहां खोल कर नहीं चढ़ायी जायेंगी. इससे पहले तारापीठ मंदिर में जलदार नारियल को फोड़ने और आलता मिल जाने से फर्श व दीवारें खराब हो रही थीं. अब इन सामान को गर्भगृह में चढ़ाने पर प्रतिबंध है.
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तारापीठ मंदिर में हिरण्मय ने की पूजा
रंगामाटी बीरभूम को बदलने और राज्य के कल्याण के संकल्प के साथ शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों से पहले टॉलीवुड स्टार व खड़गपुर सदर के भाजपा विधायक हिरण्यमय चटर्जी ने तारापीठ मंदिर में जाकर मां तारा की विधिवत पूजा अर्चना की. उस दौरान मंदिर कमेटी की ओर से विधायक को मां तारा की तस्वीर भेंट की गयी. मौके पर जिला भाजपा अध्यक्ष ध्रुव साहा, जिला उपाध्यक्ष निखिल बनर्जी, जिला सचिव तारकनाथ चटर्जी व अन्य कई नेता मौजूद थे. बाद में हिरण्यमय ने कहा कि मां तारा की कृपा से बंगाल की बुरी शक्तियों का नाश होगा.
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