Jharkhand News: मौसम की बेरुखी ने तसर किसानों की तोड़ी कमर, एक दशक में पहली बार हुआ भारी नुकसान
Jharkhand News: पिछले वर्ष खरसावां-कुचाई क्षेत्र में ही 50 मीट्रिक टन से अधिक तसर कोसा की पैदावार हुई थी. इस वर्ष पिछले एक दशक में सबसे खराब फसल हुई है.
Jharkhand News: झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के खरसावां व कुचाई समेत पूरे कोल्हान में इस वर्ष तसर (tasar) की खेती को काफी नुकसान हुआ है. इस वर्ष मौसम की बेरुखी व रुक रुक हुई बेमौसम बारिश के कारण तसर के कीट को नुकसान पहुंचा है. इससे सही ढंग से तसर कोसा तैयार नहीं हो सका है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष कोल्हान में 10-12 मीट्रिक टन तसर कोसा की पैदावार का अनुमान है. इसमें से खरसावां-कुचाई क्षेत्र में ही करीब सात मीट्रिक टन तसर कोसा की पैदावार का अनुमान है. बताया जाता है कि खरसावां, कुचाई, टोकलो को छोड़ कर कोल्हान के अन्य क्षेत्रों में काफी कम पैदावार हुई है. पिछले वर्ष खरसावां-कुचाई क्षेत्र में ही 50 मीट्रिक टन से अधिक तसर कोसा की पैदावार हुई थी. किसान कहते हैं कि इस वर्ष पिछले एक दशक में सबसे खराब फसल हुई है.
झारखंड में तसर (tasar silk in jharkhand) जोन के रुप में चिह्नित खरसावां-कुचाई क्षेत्र में इस वर्ष लक्ष्य से मात्र 15 फीसदी तसर कोसा की पैदावार हुई है. यहां हर वर्ष साढ़े चार से पांच करोड़ तसर कोसा की पैदावार होती है, परंतु इस वर्ष मात्र 60 से 70 लाख तसर कोसा की पैदावार हुई है. तसर किसानों को हुए नुकसान से उनके माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा रही हैं. कुचाई के तसर किसान महेश्वर उरांव, सरिता डांगिल, मुंगली मुंडा, जेमा मुंडाइन, मंगल मुंडा, सोमाय मुंडा, कृष्णा सोय, जोगेन मुंडा, रुईदास बोदरा, मैतरु सामड़ आदि ने बताया कि इस वर्ष पिछले एक दशक में इस बार सबसे खराब फसल हुई है.
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कोल्हान में तसर (tasar kosa silk) की फसल खराब होने का मुख्य कारण इस वर्ष हुई अत्यधिक बारिश है. खास कर अक्टूबर के अंतिम सप्ताह व नवंबर के पहले सप्ताह हुई बारिश से बड़ी संख्या में तसर के कीट संक्रमित हो गये. साथ ही बड़ी संख्या में कीट मर भी गये. नवंबर के पहले सप्ताह में हुई बारिश के बाद कुहासा पड़ने के कारण जो कीट बचे थे, वे भी सही कोसा तैयार नहीं कर सके. सात नवंबर को हुई बारशि ने किसानों की कमर ही तोड़ दी. अक्टूबर के पहले व दूसरे सप्ताह में जिन किसानों के तसर कीट तैयार हो गये थे, उनकी फसल ठीक ठाक रही.
इस वर्ष तसर कोसा (tasar silk production) की पैदावार कम होते ही इसके दाम में बढ़ोतरी हो गयी है. अमूमन हर साल ढाई से तीन सौ रुपये प्रति सैकड़ा बिकने वाला तसर कोसा अब बाजार में करीब चार सौ रुपये प्रति सैकड़ा बिक रहा है. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ दूसरे राज्य के व्यापारी भी कुचाई क्षेत्र में पहुंच कर तसर कोसा की खरीददारी कर रहे हैं. इस वर्ष तसर कोसा की पैदावार कम होने का असर पोस्ट कोकून से संबंधित कार्यों पर भी पड़ेगा. क्षेत्र में तैयार कसर कोसा से महिलायें सूत कताई व कपड़ों की बुनाई का कार्य करती हैं, परंतु तसर कोसा की पैदावार कम होने से यह काम भी प्रभावित हो सकती है.
रिपोर्ट : शचिंद्र कुमार दाश